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दूरस्थ गांवों के इन बच्चों से बहुत कुछ सीखा मैंने

नथुवावाला में कल्पवृक्ष सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसाइटी का कैंप

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

देहरादून। कहानी सत्र के दौरान बच्चों से उन काल्पनिक सवालों के जवाब जानने की कोशिश की गई, जिनके जवाब उनकी और हमारी जिंदगी के बहुत करीब हैं। हम जानना चाहते थे कि अगर घर की दीवार पर लगी घड़ी आधा घंटा आराम कर ले तो क्या होगा। हमारी दिनचर्या, हमारे कार्यों पर इस बात का क्या प्रभाव पड़ेगा। बच्चों के जवाब जानकर आपको बहुत अच्छा लगेगा। बच्चे इस काल्पनिक सवाल के जवाब को अपनी पढ़ाई लिखाई से जोड़ते हैं, अपने भविष्य से जोड़ते हैं।

वो कहते हैं, उनको स्कूल पहुंचने में देरी हो जाएगी। पापा को ट्रेन पकड़नी होगी तो उनकी ट्रेन छूट सकती है। दीदी को दफ्तर जाने में देरी हो जाएगी। बच्चे कहते हैं, घड़ी हमें सिखाती है, पढ़ाई में उसकी तरह निरंतरता बनाए रखें। एक दिन भी पढ़ाई छोड़ देना या स्कूल नहीं जाने से रिजल्ट पर प्रभाव पड़ सकता है। उनका रिजल्ट, केवल उनको ही नहीं, बल्कि उनके शिक्षकों, माता-पिता और उनको स्नेह करने वाले सभी लोगों को प्रभावित करता है। इसलिए घड़ी से सीखने को जरूरत है।

छह से नौवीं क्लास तक के इन बच्चों में, कोई आर्मी अफसर, कोई साइंटिस्ट, कोई टीचर तो कोई डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहता है। इनके चेहरे पर आत्मविश्वास दिखता है। सवाल पूछने और जवाब देने में कोई हिचक नहीं है। भाषा सधी हुई है, संवाद स्पष्ट है और इरादे बुलंद हैं। सच में, एक दिन इनके सपने जरूर पूरे होंगे, क्योंकि ये पहल कर चुके हैं।

यह बात हो रही उन बच्चों से मुलाकात की, जो देहरादून जिला के रायपुर और डोईवाला ब्लाक के नजदीकी और दूरस्थ गांवों में रहते हैं।रानीपोखरी, थानो, धारकोट, द्वारा सहित कई गांवों के बच्चे नथुवावाला में कल्पवृक्ष सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसाइटी के कैंप में युवा अभिनव नेगी  के निर्देशन में चल रहे कैंप में हैं। यह कैंप सुभाष चंद्र बोस एकेडमी में 14 जून तक चलेगा।

राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले ग्रामीण क्षेत्र के इन बच्चों को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण देने के साथ ही, कोडिंग भी सिखाई जा रही है। बच्चे बहुत रूचि से कोडिंग के जरिये मन के अनुसार डिजाइन बनाना सीख रहे हैं। उनको इंगलिश ग्रामर का अभ्यास कराया जा रहा है। थोड़ा बहुत सॉफ्टवेयर का ज्ञान भी कराया जा रहा है।

यहां बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है, जो उनमें दिखता भी है। स्टोरी टेलिंग सेशन के दौरान सवालों के जवाब देते हुए बच्चे बहुत खुश दिखे। हमने महसूस किया, अभिनव और उनकी टीम बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर बड़ा काम कर रही है।

इस कैंप की सबसे बड़ी बात यह है, बच्चे जीवन का लक्ष्य जान चुके हैं, वो सपने बुनने लगे हैं और साथ ही, उनके सपनों को पूरा कराने के लिए कल्पवृक्ष सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसाइटी की ओर से पिछली सर्दियों में ही पहल की जा चुकी है। यह दूसरा कैंप है, जिसमें बच्चों की आसमां छूने की हसरतों को पूरा करने के लिए पंख लगाने का काम अभिनव जी की टीम कर रही है।

पहले कैंप में शामिल हो चुके बच्चे देहरादून के दूरस्थ गांव द्वारा से भी थे। वहां बच्चों ने सोसाइटी की मदद से लर्निंग सेंटर खोला है, बच्चे इस सेंटर में अन्य बच्चों को पढ़ाई करने में, कोडिंग सिखाने में मदद कर रहे हैं। अभिनव बताते हैं, जल्द ही लर्निंग सेंटर में कंप्यूटर और अन्य संसाधन भेजे जा रहे हैं।

अभिनव भैया आपको सलाम है…. आप आगे बढ़ें, तरक्की करें, बच्चों को सफलता की ऊंचाइयों तक लेकर जाएं।

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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