Blog LiveFeaturedNewsवीडियो न्यूज़

डोईवाला के युवा उद्यमी की कहानीः याद आती है वो रात, जो मैदान में गुजारी थी

यूनिफॉर्म बिजनेस वाले मनोज पाल ने साझा किए उद्यमिता के किस्से

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े 33 साल के मनोज पाल को पहली बार दिल्ली प्रगति मैदान में खादी के कपड़ों की प्रदर्शनी लगाने का मौका मिला। बताते हैं, “मैं बहुत असहज महसूस कर रहा था। मैं सोच रहा था, यहां आने वाले उद्यमी प्रदर्शनी के उत्पाद ट्रकों में भरकर ला रहे हैं। मैं ट्रेन से मात्र चार सौ पीस लेकर पहुंचा था। यह बात 2014 की है।”

“देर शाम को प्रदर्शनी का पहला दिन पूरा हुआ और मैंने अपने भाई के साथ, अपने स्टॉल पर ही सोने की तैयारी कर ली। पर, कुछ देर बाद सुरक्षाकर्मियों ने हमें बता दिया, यहां किसी को सोने नहीं दिया जाएगा। हमारे सामने सवाल था, अब कहां जाएं। दिल्ली जैसे बड़े शहर में हम न तो किसी को जानते थे और न ही, हमें पता था कहां जाना है। हम बाहर फुटपाथ पर ही सो गए। पूरी रात नींद नहीं आई, मच्छरों ने बहुत परेशान किया।”

“दूसरे दिन हमने और लोगों से पता किया, तो जानकारी मिली, पास में ही धर्मशाला है, वहां रुकने की व्यवस्था हो जाएगी। आपको जानकर हैरत होगी, मात्र सौ रुपये में धर्मशाला में कमरा मिल रहा था। इस घटना के बाद, हम दिल्ली में कई प्रदर्शनियों में स्टॉल लगा चुके हैं, कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। ”

माउंट बुटीक के मालिक मनोज पाल, आठवीं कक्षा में पढ़ने के दौरान ही पिता के पास कपड़ों की सिलाई सीखने लगे। उनके पिता सोहन सिंह, जिनकी माजरी ग्रांट में टेलर शॉप है, बताते हैं, 12वीं तक मनोज ने सिलाई करना सीख लिया था। 12वीं के बाद, श्री दुर्गा मल्ल राजकीय महाविद्यालय, डोईवाला से बीए किया और फिर, देहरादून के एक इंस्टीट्यूट से फैशन टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लिया। लुधियाना के कपड़ा उद्योग में इंटर्नशिप की। देहरादून के सेलाकुई के एक उद्योग के क्वालिटी कंट्रोल में काम किया। सेलाकुई में क्वालिटी कंट्रोल के साथ,स्टाफ को प्रशिक्षण देने लगे। बतौर मास्टर ट्रेनर रहते हुए लगभग दो सौ कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया।

बताते हैं, सेलाकुई वाली नौकरी छोड़कर कुछ दिन घर पर रहे, इसी दौरान दून स्कूल देहरादून का एक विज्ञापन पढ़ा, जिसमें दून स्कूल के सोशल वर्क के तहत कुछ क्षेत्रों में महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण कराने के लिए डिजाइनर की आवश्यकता थी। मनोज ने संपर्क किया और दून स्कूल के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात, केंद्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों से हुई।

वर्ष 2012-13 में आयोग की एक योजना के तहत लगभग तीन लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हुआ। किराये के भवन में भानियावाला में बुटीक खोला। पर, यह बहुत अच्छा नहीं चल पा रहा था, केवल खर्चे ही निकल रहे थे। इस बीच उनको दिल्ली में प्रदर्शनी लगाने का मौका मिला। इन अवसर ने उनको व्यावसायिक नजरिया दिया, अनुभव हासिल किए। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा, दिल्ली में कई प्रदर्शनियां लगाईं। और फिर, माजरी में घर पर ही, कुछ मशीनों के साथ, खादी ग्रामोद्योग आयोग के लिए उत्पाद तैयार करने लगे। हमें पहचान मिलने लगी। इस दौरान, सरकार की स्वरोजगार योजनाओं के तहत महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण का काम भी मिला, जिसके तहत लगभग दो हजार से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं।

हमने स्कूल यूनीफॉर्म के क्षेत्र में पहल की, जो हमारे लिए शुभ साबित हुई। आज हम 15 स्कूलों की यूनिफॉर्म बना रहे हैं, जिनमें लगभग पांच हजार बच्चे पढ़ते हैं। हमारे कारखाने में 20 कारीगर काम करते हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान, कारीगर अपने घर लौट गए। हमने उन महिलाओं से संपर्क किया, जिनको प्रशिक्षण दिया गया था। इन महिलाओं को उनके घरों पर ही कपड़ा उपलब्ध कराकर लगभग 20 हजार मास्क बनाए गए। इस तरह कोरोना के समय, महिलाओं को घर बैठे रोजगार देने की व्यवस्था की।

ई बुक के लिए इस विज्ञापन पर क्लिक करें

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker