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दुर्गाधार मंदिरः मां दुर्गा किसी भी विपत्ति से पहले ही गांव को सचेत कर देती हैं

हर वर्ष अगस्त/ सितम्बर माह में देवी का भव्य पूजन किया जाता है, जिसे जग्गी कहा जाता है

दुर्गाधार। न्यूजलाइव

रुद्रप्रयाग जिला के बोरा ग्राम में मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर है, जो दुर्गाधार मंदिर (Durgadhar Temple) के नाम से प्रसिद्ध है। पोखरी रोड पर रुद्रप्रयाग से चोपता (Chopta) जाते हुए करीब दो किमी. पहले ही दुर्गाधार मंदिर है। यहां से फलासी (Falasi) गांव स्थित श्रीतुंगेश्वर महादेव मंदिर (Shri Tungeshwar Mahadev Temple) करीब पांच किमी. है। श्रीदुर्गाधार मंदिर के बारे में मान्यता है कि गांव में किसी भी विपत्ति के संबंध में मां दुर्गा पहले ही सचेत कर देती हैं।

इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दो भागों में बंटा दिखता है। इसके बीच में एक दरार है। मान्यता है कि प्राचीनकाल में गांव के ही एक परिवार की गाय यहां आकर एक पेड़ के नीचे प्रतिदिन दूध डालती थी, लेकिन घर पर दूध नहीं देती। एक दिन गाय का पीछा करने के बाद उसके मालिक ने देखा कि गाय कहां पर दूध डालती है। गाय के मालिक ने उस स्थान पर कुल्हाड़ी से प्रहार किया तो एक पत्थर में चोट लगी। जब गांव के लोगों ने खुदाई की तो वो थक गए, परन्तु पत्थर का अंत नहीं मिला। तब वहां पर एक आकाशवाणी हुई तथा उस स्थान पर मां का मंदिर निर्माण कराया गया।
मान्यता है कि यदि किसी भी प्रकार की विपत्ति की संभावना होती है तो मां दुर्गा पहले ही गांव वालों को सचेत कर देती थीं। आज भी देवी गांव के किसी भी एक व्यक्ति पर अवतरित होती हैं, जिन्हें देवी का पश्वा कहा जाता है। मां दुर्गा को पूजने का अधिकार मयकोटी के पंडित एवं ग्राम बैंजी के बैंजवालों का है। यहां पर हर वर्ष अगस्त/सितंबर माह में देवी का भव्य पूजन किया जाता है, जिससे जग्गी कहा जाता है।  यह तल्ला नागपुर क्षेत्र की एकमात्र ऐतिहासिक जग्गी है। आज भी मां का आशीर्वाद सभी भक्तों और ग्रामवासियों पर बना हुआ है।
मंदिर के सेवादार सुरेंद्र सिंह नेगी बताते हैं, यहां माता की बड़ी कृपा है। यहां किसी भी वस्तु की आवश्यकता होती है तो उपलब्ध हो जाती है। बताते हैं, नवरात्र का पहला दिन था, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था। मुझे मंदिर तक पानी की गगरी भरकर लानी थी। मैंने मां से प्रार्थना की, मां मैं सेवा कार्य करने में असमर्थ हूं। कुछ देर बाद एक बालिका, जिसका नाम कोमल है, यहां आई और मैंने उससे पानी की गगरी भरकर लाने को कहा। बालिका कोमल ने मंदिर तक पानी पहुंचाने में मदद की। यहां मां की बहुत कृपा है।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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