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कहानीः शेर ने दोस्त से किया वादा तोड़ दिया

एक जंगल में राजा शेर अपने दोस्तों सियार और कौआ के साथ घूमता था। कौए और सियार का भोजन शेर के छोड़े शिकार से होता था। जंगल के पास ही लकड़ी काटने वाला रहता था, जिसका नाम भोलू था। भोलू रोजाना अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल जाता था।

एक दिन भोलू लकड़ी काटने में व्यस्त था, तभी उसे शोर सुनाई दिया। उसने मुड़कर देखा तो शेर उस पर झपटने की तैयारी कर रहा था। भोलू काफी समझदार था। उसने तुरंत शेर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, नमस्कार….. आप इस जंगल के राजा है। मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई।

शेर ने हैरान से पूछा, मुझसे मिलने की खुशी ? क्या तुम मुझसे नहीं डरते?

मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ… शेर जी। मैं आपसे मिलने की उम्मीद कर रहा था। मेरी पत्नी बहुत अच्छा खाना बनाती है। मैं चाहता हूं कि आप उसकी बनाई दाल और सब्जी का स्वाद चखें, भोलू ने कहा।

दाल? सब्जियां? क्या आप नहीं जानते कि मैं केवल मांस खाता हूं? शेर ने आश्चर्य से पूछा।

यदि आप मेरी पत्नी के बनाए भोजन का स्वाद लेते हैं, तो आप मांस खाना बंद कर देंगे, भोलू ने गर्व से कहा।

शेर बहुत भूखा था और उसने भोलू के भोजन को स्वीकार कर लिया।

अच्छा है कि सियार और कौआ आज मेरे साथ नहीं हैं, नहीं तो वो दोनों मुझ पर हंसते, शेर ने सोचा।

शेर यह जानकर हैरान था कि भोजन वास्तव में बहुत स्वादिष्ट था। मैंने ऐसा अच्छा खाना कभी नहीं खाया है, शेर बोला।

राजा जी, मेरे साथ हर रोज भोजन करने के लिए आपका स्वागत है, लेकिन हमारी दोस्ती के बारे में कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए। आपको अकेले आना होगा, भोलू ने कहा।

शेर ने वादा किया कि वह किसी को अपने साथ नहीं लाएगा। अब तो हर दिन, शेर दोपहर का खाना भोलू के साथ खाता। उनकी दोस्ती दिन पर दिन मजबूत होती रही।

कौआ और सियार यह जानने के लिए उत्सुक थे कि शेर ने शिकार करना क्यों बंद कर दिया है। सियार ने कहा, अगर शेर शिकार नहीं करेगा तो हम भूखे मर जाएंगे।

आप सही कह रहे हैं, कौआ बोला। हम यह पता लगाने की कोशिश करें कि शेर को क्या हुआ है। अगले दिन उन्होंने शेर का एक निश्चित दूरी से पीछा किया और उसे दोपहर के भोजन के लिए भोलू के पास जाते देखा।

सियार ने कौए से कहा, तो इसीलिए शेर अब शिकार नहीं करता है।

जब उस शाम शेर अपनी मांद में वापस आया, तो कौआ और सियार उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। मेरे मालिक, आप हमें क्यों भूल गए हैं? कृपया हम सभी को शिकार पर जाना चाहिए, जैसा कि हम अभी तक करते आए हैं, कौए और सियार ने विनती की।

नहीं! मैंने मांस खाना छोड़ दिया है, जब से मैं एक दोस्त से मिला हूं, मेरे भीतर बड़ा बदलाव आया है। मैं अपने भोजन से संतुष्ट हूं, शेर ने कहा।

हम भी आपके दोस्त से मिलना चाहते हैं, कौआ बोला।

अगले दिन, भोलू हमेशा की तरह अपने दोस्त शेर का इंतजार कर रहा था। अचानक उसे आवाजें सुनाई दीं। भोलू बहुत सावधान और होशियार था। वह तुरंत एक पेड़ पर चढ़ गया। वह ऊंचाई से शेर को अपने पास आते हुए देख रहा था। शेर के साथ कौआ और सियार भी थे। यह तो उन दोनों के साथ आ रहा है। शेर के साथ मेरी दोस्ती बहुत लंबे समय तक नहीं रहेगी, भोलू ने स्वयं से कहा।

शेर पेड़ पर चढ़े भोलू की ओर देखते हुए बोला, भोलू जी आप नीचे आओ और हमारे साथ भोजन करो। ये दोनों मेरे दोस्त हैं।

भोलू ने कहा, अब ऐसा नहीं हो सकता। तुमने मुझसे अपना वादा तोड़ा है। अगर ये दोनों तुम्हारे से एक वादा तुड़वा सकते हैं, तो तुमसे हमारी दोस्ती भी भूला सकते हैं। आपके साथ मेरी दोस्ती अब यहीं खत्म होती है शेर महाराज।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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