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राष्ट्रीय जल संग्रहालय के लिए जुटेंगे विश्वभर से विशेषज्ञ

घटते जल संसाधनों और जल संरक्षण की आवश्‍यकता और जल संसाधनों के निरंतर और सही तरीके से इस्‍तेमाल पर चर्चा के लिए विश्वभर के विशेषज्ञ कल दिल्ली में होने वाली अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल होंगे। इसमें राष्ट्रीय जल संग्रहालय विकसित करने पर भी बात होगी। जल शक्ति मंत्रालय पानी के निरंतर इस्‍तेमाल के लिए सभी साझेदारों और आम जनता के व्‍यवहार में बदलाव लाने के लिए यह पहल कर रहा है।

नई दिल्‍ली स्थित केन्‍द्रीय जल आयोग के ऑडिटोरियम में 19 से 20 सितम्‍बर तक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला होगी, जिसमें जल संग्रहालय विकसित करने में योगदान देने वाले भारत और विदेश के जाने-माने विशेषज्ञ, जिनमें वरिष्‍ठ सरकारी और नगर नियोजन अधिकारी, शिक्षाविद्, इंजीनियर और परामर्शदाता तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत विभिन्‍न विभागों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।

विश्‍व में इस तरह की पहल करने वाले प्रमुख संगठन ग्‍लोबल नेटवर्क ऑफ वाटर म्‍यूजियम के कार्यकारी निदेशक और सह संस्‍थापक एरी‍बर्टो यूलिस, लिविंग वाटर म्‍यूजियम, अहमदाबाद की प्रमुख अध्‍यक्ष सारा अहमद, प्राकृतिक विज्ञान, यूनेस्‍को के अनुभाग प्रमुख और कार्यक्रम विशेषज्ञ गायब्रुके, एक्‍शन एड बांग्‍लादेश के शमशेर अली और सईदा तहमीना फरदौस, जल संरचना के इतिहास के क्षेत्र में जाने माने जुट्टा जेन न्‍यूबौर, स्‍वदेशी हाइड्रो-तकनीकी विशेषज्ञ कार्यशाला में अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।

कार्यशाला से प्राप्‍त नतीजे प्रस्‍तावित राष्‍ट्रीय जल संग्रहालय स्‍थापित करने के लिए ब्‍लूप्रिंट होंगे। कार्यशाला के दौरान संग्रहालय की विस्‍तृत बनावट व रूपरेखा पर चर्चा की जाएगी, जिसमें जल के महत्‍व और देश के विभिन्‍न भागों में उसकी स्थिति, संभावित समाधान, परम्‍परागत और आधुनिक जल प्रबंधन कार्य प्रणाली तथा सफलता की स्‍थानीय गाथाएं आदि शामिल हैं। प्रस्‍तुतियों के अलावा आधा दिन प्रत्‍येक समूह एक विशेष मुद्दे पर चर्चा करेगा। कार्यशाला के निष्‍कर्षों को समूह के प्रतिनिधि प्रस्‍तुत करेंगे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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