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कोविड-19ः एनबीटी ने उपलब्ध कराई किताबें डाउनलोड करने की सुविधा

एमएचआरडी के नेशनल बुक ट्रस्ट ने #StayHomeIndiaWithBooks पहल का किया शुभारम्भ

नई दिल्ली। भारत सरकार के कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लोगों को घरों में रहने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में नेशनल बुक ट्रस्ट ने अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों को मुफ्त में डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध कराई है। यह पहल #StayHomeIndiaWithBooks के अंतर्गत की गई है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले एनबीटी की https://nbtindia.gov.in से पीडीएफ प्रारूप में  100 से ज्यादा किताबों को डाउनलोड किया जा सकता है। जीवनी, लोकप्रिय विज्ञान, शिक्षक की पुस्तिका सहित हर तरह की शैलियों में उपलब्ध ये पुस्तकें हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, गुजराती, मलयालम, उड़िया, मराठी, कोकबोरोक, मीजो, बोडो, नेपाली, तमिल, पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़, उर्दू और संस्कृत भाषा में उपलब्ध हैं।

इनमें ज्यादातर पुस्तकें बच्चों और युवाओं के लिए हैं। इसके अलावा रविन्द्र नाथ टैगोर, प्रेमचंद और महात्मा गांधी की पुस्तकें हैं, जिनका लुत्फ परिवार का हर व्यक्ति उठा सकता है। इस सूची में आगे और भी किताबें जोड़ी जाएंगी।

कुछ चुनिंदा किताबों में हॉलिडेज हैव कम, एनीमल्स यू कान्ट फॉरगेट, नाइन लिटिल बर्ड्स, द पजल, गांधी तत्व सत्काम, वूमेन साइंटिस्ट इन इंडिया, एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग साइंस, ए टच ऑफ ग्लास, गांधीः वारियर ऑफ नॉन वायलेंस आदि शामिल हैं। ये पीडीएफ सिर्फ पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं और किसी भी प्रकार के अनाधिकृत या वाणिज्यिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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