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कोरोना संक्रमणः संकट मोचक बन रहे डोईवाला के युवा

डोईवाला। कोरोना संक्रमण से प्रभावितों को अस्पतालों में भर्ती कराना हो या आक्सीजन के सिलेंडर व दवाइयां घर तक पहुंचानी हों या फिर आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवारों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करानी हो, डोईवाला के इन युवाओं की टीम हर समय तैयार रहती है। संकट के दौर में युवाओं की इस टीम ने रक्त व प्लाज्मा भी दान किया। इन दिनों युवा घर-घर राशन पहुंचाने की मुहिम चला रहे हैं।
राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के प्रदेश संयोजक मोहित उनियाल के नेतृत्व में डोईवाला क्षेत्र के युवाओं की टीम कोरोना संक्रमण की मुश्किलों में प्रभावित परिवारों की मदद के लिए आगे आई। उनियाल का कहना है कि यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि सेवा करने का है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से कई परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया।
टीम में शामिल पूर्व ग्राम प्रधान उमेद बोरा, प्रमोद कपरवान, युवक कांग्रेस के विधानसभा शाखा अध्यक्ष राहुल सैनी, ग्राम पंचायत सदस्य शुभम कांबोज, छात्र नेता सावन राठौर, आसिफ अली, आशिक अली आदि ने गांवों में उन लोगों की सूची तैयार की, जिनको खाद्य सामग्री की अत्यंत आवश्यकता है। सभी ने अपने अपने स्तर से राशन इकट्ठा किया और वितरण के लिए पैकेट तैयार किए। राशन का लगभग दस किलो का एक पैकेट बनाया गया, ताकि कुछ दिन की राहत मिल सके।
टीम ने अभी तक डोईवाला, केशवपुरी, मारखमग्रांट, लच्छीवाला, कुआंवाला, सिमलास ग्रांट, खट्टा पानी, दूधली के लगभग डेढ़ सौ परिवारों को घर-घर जाकर राशन वितरित किया। उनियाल ने बताया कि टीम की इस पहल को स्थानीय लोगों का प्रोत्साहन मिल रहा है। टीम डोईवाला क्षेत्र में कोरोना संक्रमण से प्रभावित लोगों की हरसंभव मदद के लिए हमेशा तैयार है।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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