Uttarakhand

उत्तराखंड के शिल्प ने खींचा बर्मिंघम का ध्यान

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से शुक्रवार को बर्मिंघम इंडस्ट्रियल एक्सपो से लौटे आठ शिल्पियों के दल ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उनका स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की कि वे अपने अनुभव से उत्तराखंड में और अधिक लोगों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रमुख सचिव उद्योग को निर्देशित किया कि जो भी शिल्पी विदेश का अनुभव लेकर लौटे हैं, उनकी आवश्यकताओं को समझने के लिए एक मीटिंग की जाए और फिर सरकारी स्तर से जो भी मदद हो, उनको दी जाए।

मुख्यमंत्री ने शिल्पियों से कहा कि आधुनिक समय में गुणवत्ता के साथ साथ डिजाइन और फैशन का भी बहुत महत्व है। उत्तराखंड के उत्पादों को फैशन में लाना होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय शिल्प और कला को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। सरकार न सिर्फ इसके लिए प्रशिक्षण दे रही है बल्कि विपणन केंद्रों के विकास के लिए भी संकल्पित है। प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि चार सितंबर को बर्मिंघम में आयोजित इंडस्ट्रियल एक्सपो में गए भारतीय दल में उत्तराखंड के आठ शिल्पी शामिल थे।

उत्तराखंड के शिल्पियों ने नेचुरल फाइबर, ऊन और कॉपर से बने सामान का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि एक्सपो में बहुत से व्यापारियों ने उत्तराखंड के उत्पादों में रुचि दिखाई। विशेष रूप से नेचुरल फाइबर और ऊन के स्टोल्स और शॉल ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। कॉपर से निर्मित उत्पादों की प्रशंसा हुई। इस दौरे से उत्तराखंड के शिल्पियों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार का अनुभव प्राप्त हुआ और इसके साथ ही उन्हें बाजार की मांग की जानकारी भी मिली। उन्होंने बताया कि यह सभी शिल्पी मास्टर क्राफ्ट मैन है और प्रत्येक शिल्पी 100-100 शिल्पियों को प्रशिक्षित करेगा।

बर्मिंघम के दल में उत्तरकाशी के चंद्र लाल, नरेश, अल्मोड़ा के बलवंत टम्टा, बागेश्वर के शिव लाल, चमोली के  धरमलाल और गुड्डी देवी तथा हरिद्वार के मुकेश और आशु शामिल थे। अपर निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड के शिल्पियों के दल ने बर्मिंघम , यूनाइटेड किंगडम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय उद्योग मेले में चार सितंबर को भाग लिया था। यह दल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट और उत्तराखंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट काउंसिल के संयुक्त तत्वाधान में बर्मिंघम में स्थापित भारतीय पवेलियन में शामिल हुआ था।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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