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UKPSC : नौ साल बाद खुला रिजल्ट का सीलबंद लिफाफा

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आयोग ने लिया निर्णय

हरिद्वार। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित एक पद का जून, 2014 में सील्ड लिफाफे में रखा गया परिणाम और सभी अभ्यर्थियों के प्राप्तांकों के मूल अंकतालिका का लिफाफा खोला। आयोग ने पाया कि उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग  के लिए आरक्षित एक पद के सापेक्ष प्रवीणता/योग्यता क्रम में कोई भी उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस आरक्षित एक पद को अग्रेनीत कर दिया गया।

आयोग के अनुसार, राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) के नौ पदों पर जनवरी, 2014 को साक्षात्कार परीक्षा के आधार पर आठ पदों का रिजल्ट 26 जून, 2014 को घोषित किया था। यह रिजल्ट उत्तराखंड उच्च न्यायालय में लम्बित रिट याचिका में पारित होने वाले अन्तिम निर्णय के अधीन घोषित किया गया था।

आयोग ने बताया,  उच्च न्यायालय में दाखिल रिट याचिका पर दिसंबर, 2013 में पारित आदेश के क्रम में उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित एक पद का परिणाम सील्ड बन्द लिफाफे में रखा गया था।

पूरी जानकारी के लिए देखें- आयोग की विज्ञप्ति

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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