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घबराएं नहीं, एम्स कर रहा इस बीमारी का निशुल्क उपचार

प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान को आगे बढ़ा रहा एम्स संस्थान

ऋषिकेश। 9 जनवरी, 2025

क्षय रोग की बीमारी अब लाइलाज नहीं रही। यदि इसके लक्षण प्रारम्भिक चरणों में है तो इसका सम्पूर्ण इलाज संभव है। एम्स ऋषिकेश ने इस बीमारी के खात्मे के लिए विशेष अभियान संचालित किया है। इस अभियान के तहत एम्स के पल्मोनरी विभाग की ओपीडी में आने वाले प्रत्येक रोगी से पूछताछ कर इसके लक्षणों के बारे में स्क्रीनिंग की जा रही है। ताकि चिन्हित किए गए रोगी का समय रहते इलाज शुरू किया जा सके।

क्षय रोग (टी.बी.) के उन्मूलन और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने के लिए 9 सितम्बर 2022 को देश में “प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान” की शुरुआत की गई थी। यह संक्रामक बीमारी है जो ट्यूबर कुलोसिस (Tuberculosis) बैक्टीरिया के कारण होती है और रोगी के फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। हवा के माध्यम से एक-दूसरे में फैलने वाले इस रोग से निपटना एक चुनौती के समान है और इसे नियंत्रित करने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व्यापक अभियान संचालित कर रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं कि इससे निपटा नहीं जा सकता। यदि बीमारी के शुरुआती दौर में ही व्यक्ति इसके लक्षणों को पहचान लें तो नियमित तौर से दवा लेने के बाद रोगी इससे उबर जाता है। हालांकि विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार रोगी को इसके लक्षणों का पता देरी से चलता है।

संस्थान के पल्मोनरी विभाग की प्रोफेसर डाॅ. रूचि दुआ ने बताया कि 2017 में टीबी उन्मूलन अभियान के तहत डॉट्स ( डायरेक्टली ऑबज्वर्ड थेरैपी शॉर्टटर्म ) सेंटर की शुरुआत की गई थी। बाद में पल्मोनरी विभाग द्वारा टीबी के लक्षणों वाले रोगियों को भी ओपीडी में देखा जाने लगा। उन्होंने बताया कि पल्मोनरी ओपीडी में प्रतिमाह लगभग 100- 120 रोगी विभिन्न प्रकार की टी. बी. की शिकायतों को लेकर आते हैं। ओपीडी में रोगी से टीबी लक्षणों के बारे में व्यापक पूछताछ कर लक्षण पाए जाने पर आवश्यक जांचों के बाद दवाओं के माध्यम से इसका इलाज करने हेतु विशेष प्रोटोकाॅल निर्धारित किया गया है।

डाॅ. दुआ ने बताया कि अधिकतर मामलों में रोगी हॉस्पिटल तब आता है जब लक्षण गम्भीर स्थिति में पंहुच जाते हैं। यदि लक्षण के शुरुआती दिनों में ही रोगी इलाज शुरू कर दें तो टीबी की जटिलताओं से बचा जा सकता है। एम्स का प्रयास है कि समय रहते रोगी का बेहतर इलाज शुरू किया जा सके।

पल्मोनरी विभाग के हेड प्रो. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि टी.बी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के लिए पल्स पोलियो अभियान की तरह इस बीमारी के प्रति भी जन-जागरूकता अभियान को डोर टू डोर पहुंचाना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक समाज का प्रत्येक व्यक्ति जागरूक होकर इस अभियान में शामिल नहीं होगा, तब तक यह कार्यक्रम अपेक्षित सफल नहीं हो सकता। इसके लिए सभी लोगों को सामूहिक सोच से कार्य करने की आवश्यकता है।

टी.बी. के प्रमुख लक्षण

लंबे समय तक सूखी खांसी आना

खांसी आने पर बलगम या फिर खून आना

बेचैनी और सुस्ती महसूस होना

सांस लेते वक्त सीने में दर्द होना

भूख कम लगना और वजन कम होना

और अक्सर हल्का बुखार रहना इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।

डाॅ. रूचि दुआ ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण देरी से पता चलने के कारण इसका खात्मा करना स्वयं एक चुनौती है।

सोमवार और बुधवार को होती है ओपीडी
एम्स के पल्मोनरी विभाग में सोमवार और बुधवार को सामान्य मरीजों के लिए ओपीडी का दिन निर्धारित है। ओपीडी के इन दोनों दिनों में टी.बी. के लक्षणों वाले रोगियों की जांच भी की जाती है। यहां सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के तहत इलाज की सभी सुविधाएं मुफ्त हैं।

टीबी रोगियों की जांच के लिए उपलब्ध सुविधाएं
थूक/बलगम से संबंधित जांच/ रिजिड ब्रोंकोस्कोपी और एंडोस्कोपी/ईबीयूएस-एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड और थोरैकोस्कोपी जैसी विशेष एंडोस्कोपी की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

क्या करें ? यदि किसी में टीबी के लक्षण मिल जाएं ?
फेफड़ों की जांच और थूक बलगम की जांच कराकर बीमारी के लक्षणों को पुष्ट करना। हवा के माध्यम से संक्रमण से फैलाने वाली इस बीमारी के लक्षणों का पता लगते ही इसका तत्काल उपचार शुरू करना, रोगी के जीवन बचाने के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी संक्रमित होने से बचा देता है।

’’गंभीर किस्म की प्रत्येक बीमारी का इलाज करना एम्स ऋषिकेश की प्राथमिकता है। टी.बी. रोगियों के लिए राज्य सरकार के सहयोग से अस्पताल के ओपीडी एरिया में एक टी.बी. क्लीनिक भी संचालित किया जा रहा है। क्षय रोग को खत्म करने के लिए जन भागीदारी होनी बहुत जरूरी है। संस्थान द्वारा संचालित ड्रोन मेडिकल सेवा के माध्यम से भी हम उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती इलाकों चम्बा, यमकेश्वर और टिहरी आदि स्थानों तक टीबी की दवा पहुंचा रहे हैं।’’- प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स ऋषिकेश

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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