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बैंक लोन आवेदन पर नो-पेंडेंसी के वर्क-कल्चर को अपनाएं

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 86वीं बैठक में बैंकों को एसीएस की सलाह

देहरादून। अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 86वीं बैठक आयोजित की गई।

इस अवसर पर उन्होंने नाबार्ड द्वारा प्रकाशित “स्टेट लेवल बैंकिंग प्लान ऑन गोट फार्मिंग” पुस्तिका का विमोचन भी किया।

अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि केंद्र एवं राज्य की विभिन्न ऋण संबंधित योजनाओं के अंतर्गत बैंक एवं संबंधित विभाग आपस में समन्वय कर आमजन को तय समय पर ऋण उपलब्ध कराएं।

उन्होंने कहा कि समस्त बैंक लम्बित ऋण आवेदन पत्रों का तय समय पर निस्तारण करें। ऋण आवेदन मिलने पर सभी बैंक नो-पेंडेंसी के वर्क-कल्चर को अपनाएं। बैंकों द्वारा जिन भी ऋण आवेदन पत्रों को अस्वीकारा गया हो, उनका पुनः आकलन किया जाए और बैंक अनुचित कारणों से ऋण आवेदन पत्रों को निरस्त ना करें।

उन्होंने कहा कि बैंक प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना, एनयूएलएम, पंडित दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, पीएम स्वानिधि योजना में निर्धारित लक्ष्य को शीघ्र पूर्ण करें।

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि बैंक स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन से समन्वय करते हुये एन.पी.ए. कम करने का प्रयास करें। साथ ही, जिन जिलों में ऋण जमा अनुपात कम हो, सभी जिलों में ऋण जमा अनुपात बढ़ाने हेतु क्रेडिट आउटरीच कैंपों का आयोजन हो।

बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, अपर सचिव ग्राम्य विकास आनंद स्वरूप, अपर सचिव पर्यटन पूजा गर्ब्याल, अपर सचिव नितिन भदौरिया, क्षेत्रीय निदेशक आरबीआई लता विश्वनाथन, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड विनोद कुमार बिष्ट, पंकज गुप्ता अध्यक्ष इन्डस्ट्रीज आदि मौजूद रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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