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जानिए क्या है पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना

नई दिल्ली। बच्चों के लिए पीएम केयर्स योजना (PM-Cares for children) की शुरुआत 29 मई 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी।

यह योजना विशेष तौर पर उन बच्चों को सहायता उपलब्ध कराती है, जिन्होंने 11 मार्च 2020 के बाद से शुरू होने वाली अवधि के दौरान अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावक अथवा दत्तक माता-पिता या फिर जीवित माता-पिता दोनों को कोविड-19 महामारी से खो दिया है।

इस योजना का उद्देश्य बच्चों की व्यापक देखभाल करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से उनकी सेहत का ख्याल रखना, उन्हें शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना और उनकी 23 वर्ष की आयु पूरी होने तक वित्तीय सहायता के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए तैयार करना है।

केंद्रीय स्तर पर योजना के क्रियान्वयन के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय होगा।

राज्य में किशोर न्याय से संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित किए गए विभाग राज्य स्तर पर इसके लिए नोडल एजेंसी का कार्य करेंगे। योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट नोडल अधिकारी होंगे।

योजना की सभी जानकारी ऑनलाइन पोर्टल https://pmcaresforchildren.in  पर देखी जा सकती हैं। 15 जुलाई 2021 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह पोर्टल उपलब्ध करा दिया गया है तथा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पोर्टल पर पात्र बच्चों की पहचान करने एवं उन्हें पंजीकृत करने के लिए कहा गया है।

कोई भी आम नागरिक इस पोर्टल के माध्यम से इस योजना के तहत सहायता पाने के लिए पात्र बच्चे के संबंध में प्रशासन को सूचित कर सकता है।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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