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इस “परफेक्ट सोलर सिस्टम” में जीवन तलाशेंगे वैज्ञानिक

एक ही आकार के छह ग्रहों वाला सोलर सिस्टम खोजा वैज्ञानिकों ने

हमारा सौर मंडल यानी सूर्य के चक्कर लगाते पृथ्वी और अन्य ग्रह, के बारे में हम सभी जानते हैं। पर, शोधकर्ताओं ने एक और सोलर सिस्टम की खोज की है, जिसे परफेक्ट सोलर सिस्टम (Perfect Solar System) कहा जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इस सोलस सिस्टम यानी सौर मंडल के सभी छह ग्रह एक ही आकार के हैं, जबकि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी सहित सभी ग्रहों के आकार अलग-अलग हैं, जैसा कि आप बृहस्पति और शनि ग्रह को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नये खोजे गए सौर मंडल में, इसके बनने के 12 अरब साल बाद भी बामुश्किल कोई बदलाव हुए हैं। इससे हमें यह समझने में आसानी होगी कि ग्रह कैसे बने और क्या वहां जीवन है?

छह ग्रह एक लयबद्ध ताल में अपने केंद्रीय तारे की परिक्रमा करते हैं। केंद्र में स्थित चमकीला तारा हमारे सूर्य से छोटा और ठंडा है। यह छह “सब नेपच्यून” – संभवतः हमारे अपने नेपच्यून के छोटे संस्करण – एक चक्रीय लय में घूम रहे हैं।

शोधकर्ता इस नये परफेक्ट सौर मंडल को लेकर उत्साहित हैं और इससे यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर ग्रहों और सौर मंडल कैसे बने। क्या इस नये परफेक्ट सौर मंडल में जीवन के लिए जरूरी आवश्यकताएं उपलब्ध हैं या नहीं।

यह खोज यह समझाने में मदद कर सकती है कि मिल्की वे आकाशगंगा में सौर मंडल कैसे बने। यह कोमा बेरेनिसेस तारामंडल (constellation Coma Berenices) में 100 प्रकाश वर्ष दूर है। एक प्रकाश वर्ष 5.8 ट्रिलियन मील का होता है।

इनमें दो सबसे बाहरी ग्रह  41 और 54.7 दिनों में एक परिक्रमा पूरी करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक तीन में से चार परिक्रमाएं होती हैं। इस बीच, सबसे भीतरी ग्रह ठीक उसी समय में छह परिक्रमाएं पूरी करता है, जितने समय में सबसे बाहरी ग्रह एक पूरी करता है।

एचडी 110067 के नाम से जाने जाने वाले इस तारे में और भी अधिक ग्रह हो सकते हैं। अब तक पाए गए छह का आकार पृथ्वी से लगभग दो से तीन गुना अधिक है, लेकिन उनका घनत्व हमारे अपने सौर मंडल के गैस वाले बड़े ग्रहों (gas giants )के करीब है। उनकी कक्षाएं नौ से 54 दिनों तक की होती हैं, जो उन्हें शुक्र ग्रह की तरह अपने तारे के अधिक निकट लाती हैं, और उन्हें अत्यधिक गर्म बनाती हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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