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PASS: दून में जल संतुलन के आंकड़े साझा करने के लिए डैशबोर्ड बनाया

देहरादून। USAID और Centre for Urban and Regional Excellence (CURE) ने शुक्रवार को देहरादून शहर की जल संतुलन योजना (Dehradun City Water Balance Plan) अध्ययन को शहरी विकास निदेशक वीके सुमन और परियोजना निदेशक विनय शंकर पांडे तथा अतिरिक्त कार्यक्रम निदेशक UUSDIP विनय मिश्रा को सौंपा।
जल जीवन मिशन (शहरी)- 2 ने हाल ही में जारी गाइडलाइन में शहरों को सुझाव दिया है कि वो पानी की सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने, उपचारित सीवेज के पुन: उपयोग, जल निकायों के कायाकल्प और जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जल संतुलन योजना का संचालन करें।
सिटी वाटर बैलेंस प्लान स्टडी, जिसे CURE ने USAID के समर्थन से जून 2020 में शुरू किया था, आज शहरी विकास विभाग को सौंप दिया गया। शहरी विकास विभाग के साथ आसान ट्रैकिंग और डेटा साझा करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक गतिशील जल संतुलन डैशबोर्ड विकसित किया गया है।
USAID और CURE अपने अभिनव, पानी और स्वच्छता में साझेदारी (PASS) कार्यक्रम के तहत तीन AMRUT शहरों / कस्बों – प्रयागराज, नासिक और देहरादून में सिटी वाटर बैलेंस प्लान अध्ययन कर रहा है।
एक वर्ष की अवधि में अध्ययन पूरा करने वाला पहला शहर देहरादून है। AMRUT, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है, जो जल पुनर्वित्त शहरों का निर्माण करने की दिशा में भारत सरकार की पहल है।
अध्ययन CURE द्वारा एक स्थानीय परामर्श एजेंसी, Impact DASH के सहयोग से किया गया था। 19 फरवरी, 2021 को मुख्य सचिव के सम्मेलन हॉल में एक बैठक में शहरी विकास विभाग को मसौदा जल संतुलन योजना CURE द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
बैठक की अध्यक्षता शहरी विकास विभाग के सचिव शैलेश बगौली, परियोजना निदेशक UUSDA वीएस पांडे और निदेशक, शहरी विकास निदेशालय  वीके सुमन के साथ-साथ जल संस्थान, पेयजल निगम, सिंचाई विभाग, एएमआरयूटी सहित सभी हितधारक विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों में संतोषजनक भूमिगत जल की उपलब्धता, विशेष रूप से स्लम एरिया में संतोषजनक पाइप जलापूर्ति, गहन भूजल निष्कर्षण, बेहतर परिणाम के लिए सभी हितधारक विभागों के बीच समन्वय की कमी, आंकड़ों की कमी और जल जनित रोगों की व्यापकता शामिल है।
क्योर की शहर प्रबंधक स्वागता कैंथोला ने बताया कि सचिव शैलेश बगौली ने इस पहल की सराहना की और अध्ययन के कुछ क्षेत्रों पर चिंता व्यक्त की, जिसमें डेटा सत्यापन, एक्विफर मैनेजमेंट प्लान, वाटर पोटेबिलिटी और वाटर सप्लाई शामिल थे।
Key words:- Centre for Urban and Regional Excellence (CURE), USAID, Water Balance study report, Slum Area in Dehradun, Water Management in Uttarakhand, Dehradun Smart city, AMRUT, Impact Dash of Cure, Water circular economy, देहरादून शहर में जल संतुलन अध्ययन, जल जनित रोग कौन से हैं, दूषित जल से होने वाले रोग, भूमिगत जल की स्थिति, देहरादून शहर में पेयजल की स्थिति 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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