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पप्पू की पगडंडी देखकर बच्चे बोले, तरक्की के लिए शॉर्टकट नहीं चलेगा

 यह सभी जानते हैं कि हर बच्चा जीनियस है। हमारी ही क्लास में किसी का मैथ अच्छा होता है और किसी की ड्राइंग, कोई अंग्रेजी के विषय में सबसे ज्यादा मार्क्स लाता है और कोई खेल के मैदान में शानदार प्रदर्शन करता है। अपनी प्रतिभा को पहचान कर  उसी दिशा में लगातार मेहनत करें तो कोई हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। सफलता हासिल करने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। मानवभारती स्कूल हमें एजुकेशनल टूर कराता रहा है और हर बार हमने कुछ नया सीखा।
हमारी टीचर ने एक दिन पहले ही हमको बता दिया था कि गुरुवार 20 जुलाई को आपको शहर के एक थियेटर में फिल्म दिखाने के लिए ले जाएंगे। उन्होंने कहा था कि  याद रहे, यह भी एक एजुकेशनल टूर है, यह फिल्म आपको कुछ नया सिखाएगी। यह हम सबके लिए सरप्राइज था। हमने पूछ लिया, कौन सी फिल्म मैडम। जवाब मिला- पप्पू की पगडंडी, यह नाम सुनकर हम थोड़ा चौंक गए। हमने इस फिल्म का नाम नहीं सुना था।
20 जुलाई सुबह सात बजे क्लास 6 और 7 के 96 बच्चे स्कूल परिसर में पहुंच गए और फिर टीचर ने हमारी अटेंडेंस लेकर सभी को बसों में बैठने को कहा। सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर हम सभी छात्र-छात्राएं राजपुर रोड के सिलवर सिटी सिनेमा हॉल पहुंच गए। आठ बजे का शो हमारे लिए पहले से बुक किया गया था। बड़े उत्साह के साथ हमने सिनेमा हॉल में प्रवेश किया और अपनी सीटों पर बैठ गए। टीचर अनिल कंडवाल, विदुषी भनोट, अनुराधा मेहरा, पूनम ढौंडियाल और रूपल डंगवाल हमारे साथ रहे।
आइए आपको उस पप्पू की कहानी बताते हैं, जो हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत मनाली शहर में रहता है। उसके पिता इंजीनियर हैं,लेकिन उनके पास आय का कोई साधन नहीं है। वो पप्पू को कचरा बन चुके सामान से नये-नये खिलौने बनाकर देते हैं, लेकिन उसके स्कूल के अमीर परिवारों के बच्चे अक्सर उसका मजाक बनाते हैं। पप्पू उन बच्चों की तरह फर्राटेदार अंग्रेजी भी नहीं बोल पाता। इन हालातों से जूझ रहा पप्पू अब समझने लगा था कि वो कुछ नहीं कर सकता। उसके पिता ने उसको कचरे में मिले सामान से ट्री हाउस बनाकर दिया। पप्पू को उस ट्री हाउस में एक जिन्न मिल गया। जादुई शक्तियों वाले जिन्न को अपने करीब पाकर पप्पू ने सोचा कि अब तो उसकी सारी मुसीबतें पलभर में दूर हो जाएंगी। लेकिन जिन्न ने उसको कह दिया कि जादुई शक्तियों से होने वाले काम स्थाई नहीं होते, इसलिए मेहनत तो करनी होगी। वो पप्पू को वो सभी तरीके बताता है, जिनके जरिये सफलता हासिल की जा सकती है, पर सभी के लिए पहली शर्त मेहनत बताई। जिन्न उसको समझाता है कि पहले खुद के बारे में जानो कि तुम क्या कर सकते हो। मेहनत तो तुमको करनी होगी, क्योंकि दुनिया में स्थाई रूप से सफलता पाने के लिए शॉर्ट कट नहीं चलता।
पप्पू की पगडंडी शो ठीक 90 मिनट का था। इसके बाद ठीक दस बजे हम सभी स्कूल वापस लौट आए। सिनेमाहॉल से स्कूल तक आते हुए हम बस फिल्म की चर्चा ही कर रहे थे। क्योंकि आज हम सभी ने एक ऐसी फिल्म देखी, जो किसी एजुकेशनल टूर से कम नहीं थी। यह फिल्म आपको क्लास में पढ़ाए जाने वाले किसी विषय का ज्ञान भले ही न कराती हो, लेकिन आपको तरक्की पाने का सूत्र जरूर बताती है। आज हमने जाना कि हम सभी में कोई न कोई टैलेंट है, जिसको पहचान कर हम उस दिशा में लगातार प्रयास करते रहें, तय मानिये एक दिन सफलता जरूर मिलेगी और यह स्थाई होगी। मैजिक, लॉजिक और एडवेंचर से भरपूर यह फिल्म हमसे कहती है कि जीवन में तरक्की पाने के लिए खुद को पहचानों और खुद पर विश्वास करो। शानदार, प्रेरक फिल्म दिखाने के लिए थैंक्यू टीचर्स।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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