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दिमाग पर जोर डालने के लिए एक रात में बना यह शब्द

हमारे में से अधिकतर को नहीं मालूम कि Quiz शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई

न्यूज लाइव डेस्क

हम अक्सर अंग्रेजी का एक शब्द Quiz सुनते हैं और इसमें प्रतिभाग भी करते हैं। पर, शायद हमारे में से अधिकतर को नहीं मालूम कि Quiz शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई। Quiz, जिसे हिन्दी में “प्रश्नोत्तरी” या “प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता” कहा जाता है। यह आमतौर पर विभिन्न विषयों पर प्रश्नों का जवाब देने का एक मनोरंजक और शिक्षापूर्ण  तरीका होता है।

अब आपको बताते हैं कि Quiz शब्द कहां से आया। 1782 से पहले अंग्रेजी डिक्शनरी में ऐसा कोई शब्द नहीं था। यह एक रात में बनाया गया शब्द है। इसके पीछे एक रोचक कहानी बताई जाती है।

रिचर्ड डेली 18वीं सदी में डबलिन में थिएटर रॉयल के मैनेजर थे। उन्होंने अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों और दोस्तों के साथ एक शर्त लगाई कि वह एक ही दिन में एक बिल्कुल नए शब्द को लोकप्रिय बना सकते हैं।

डेली और उनकी टीम ने रणनीतिक रूप से पूरे डबलिन में दीवारों और सार्वजनिक स्थानों पर “Quiz” शब्द लिखा। यह शब्द सभी के लिए नया था। वो इसका अर्थ पूछने लगे। मूलतः, “Quiz” का कोई विशिष्ट अर्थ नहीं था। यह चर्चा और जिज्ञासा पैदा कर रहा था। जैसे-जैसे लोगों ने बातचीत में एक-दूसरे से जानने के लिए इस शब्द का उपयोग करना शुरू किया। यह एक सवाल बनकर रह गया।

19वीं सदी की शुरुआत तक, किसी परीक्षण या परीक्षा का वर्णन करने के लिए “Quiz” अंग्रेजी भाषा में एक सामान्य शब्द बन गया था।

“Quiz” शब्द ने साहित्य में अपनी जगह बनाई और 19वीं सदी की शुरुआत में लेखकों ने इसका इस्तेमाल किया।

क्विज़ की अवधारणा एक सामाजिक गतिविधि बन गई, जो अक्सर पब, क्लबों और समारोहों में होती थी।
सामान्य ज्ञान से लेकर मनोरंजन और खेल तक विभिन्न विषयों पर प्रश्न शामिल करने के लिए यह शब्द विकसित हुआ।

नील ओ’ब्रायन (Neil O’Brien) को क्विज़मास्टर और सामान्य ज्ञान विशेषज्ञ के रूप में भी जाना जाता है। वह क्विज़ और सामान्य ज्ञान कार्यक्रमों के आयोजन में शामिल रहे हैं और उन्होंने quizzing community में योगदान दिया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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