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आपके पास होने चाहिए ये राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी टेलीविजन चैनलों को एक टिकर के जरिए या ऐसे तरीकों से, जिन्‍हें वे उपयुक्त समझते हैं, समय-समय पर विशेषकर प्राइम टाइम के दौरान निम्नलिखित राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एडवाइजरी की है।

 

1075 स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर
1098 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का बाल हेल्पलाइन नंबर
14567 सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन नंबर (एनसीटी दिल्ली, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड)
08046110007 मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए निमहांस का हेल्पलाइन नंबर

 

ये राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर देश के नागरिकों के हित में सरकार द्वारा बनाए और प्रचारित किए गए थे।

एडवाइजरी में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पिछले कई महीनों में सरकार ने तीन महत्वपूर्ण मुद्दों य‍था कोविड उपचार प्रोटोकॉल, कोविड  उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण के बारे में जागरूकता उत्‍पन्‍न करने के लिए प्रिंट, टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया, इत्‍यादि सहित विभिन्न साधनों और मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से जागरूकता उत्‍पन्‍न की है।

एडवाइजरी में निजी टीवी चैनलों को उपर्युक्‍त तीन मुद्दों के बारे में जागरूकता उत्‍पन्‍न करके और लोगों को सूचित करके इस महामारी से लड़ने में सरकार के प्रयासों में पूरक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया गया है।

एडवाइजरी में यह आग्रह किया गया है कि इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए निजी टीवी चैनलों को राष्ट्रीय स्तर के चार हेल्पलाइन नंबरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी जाती है।

Keywords:- National Helpline Number, Advisory on Helpline number, COVID, Corona Vaccination

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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