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एम्स में भर्ती कोविड रोगियों की जानकारी के लिए हेल्प डेस्क

ऋषिकेश। एम्स में कोविड मरीजों और उनके परिजनों के बीच संवाद के लिए संचालित ’संवाद हेल्प डेस्क’ को और अधिक प्रभावशाली बनाया गया है। अब एम्स में भर्ती कोविड मरीजों के परिजन पूर्वाह्न 11 बजे के बाद अपने लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ले सकते हैं। यह डेस्क हर दिन 24 घंटे कार्य करेगी।

गौरतलब है कि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के दिशा निर्देशन में संवाद हेल्प डेस्क की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को गई थी। इसका उद्देश्य एम्स अस्पताल में भर्ती कोविड पॉजिटिव मरीजों, उनके तीमारदारों और परिजनों के बीच संवाद स्थापित करना है।

एम्स अस्पताल प्रशासन ने अब सुविधाओं का विस्तार करते हुए इस हेल्प डेस्क को और अधिक सक्रिय किया है।

डीन हॉ​स्पिटल अफेयर्स प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने बताया कि कोविड वार्डों में ड्यूटी देने वाले असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, नर्सिंग इंचार्ज और संबंधित वार्ड के टीम लीडरों को भी संवाद ग्रुप में शामिल किया गया है। जिससे भर्ती कोविड मरीजों के परिजनों को समय पर उनके स्वास्थ्य संबंधी संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जा सके।

एम्स प्रशासन ने ’संवाद हेल्प डेस्क’ का व्हाट्सएप नंबर  72170 14336 जारी किया गया है। इस नम्बर पर प्रत्येक दिवस सुबह 11 बजे के बाद मरीजों के स्वास्थ्य का अपडेट प्राप्त किया जा सकता है।

डेस्क पर तैनात स्टाफ इन संदेशों को संबंधित वार्ड तक पहुंचाएंगे। वहां से मरीज के स्वास्थ्य की अपडेट व्हाट्सएप के माध्यम से मरीजों के परिजनों को उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए मरीज के तीमारदार को हेल्पडेस्क को अपने मरीज का नाम, उम्र व उनके भर्ती वार्ड की संपूर्ण लोकेशन व्हाट्सएप पर भेजनी होगी।

संवाद डेस्क के नोडल अधिकारी डा. केएस रवि ने बताया कि हेल्प डेस्क से मरीज से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए फोन करने वाले व्यक्ति को भर्ती मरीज की आवश्यक जानकारी देनी होगी।

इसके बाद डेस्क के माध्यम से मरीज से जुड़े चिकित्सक से संपर्क स्थापित कर उनकी अपडेट्स पता कर मरीज के परिजनों को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि संवाद हेल्प डेस्क 24 घंटे सुचारू रूप से कार्य कर रही है। लोगों को चाहिए कि अपने मरीज की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए इस सुविधा का लाभ उठाएं।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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