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बच्चे के नामकरण में ये 13 उपाय मदद करेंगे

हमारे समाज में नामकरण को सोलह संस्कारों में से एक माना जाता है। आज भी नाम के लिए कई जगह राशि का ध्यान रखा जाता है। हालांकि बच्चे का नामकरण करना माता-पिता या अन्य अभिभावकों के लिए हमेशा असमंजस भरा होता है। क्योंकि नाम किसी भी व्यक्ति की पहचान होता है और नाम से उसका व्यक्तित्व भी झलकता है। परिवार के उत्साही लोग गर्भावस्था के दौरान से ही एक अच्छे नाम की तलाश में लग जाते हैं। न केवल मां-बाप ही बल्कि परिवार का हर सदस्य अपने-अपने ढंग से बच्चे का नया-नया नाम सुझाता है। कुल मिलाकर बच्चे का नामकरण करना बहुत मुश्किल काम है। यदि आप भी ऐसी ही मुश्किल में हैं या आपको भी अपने बच्चे के लिए कोई अच्छा नाम नहीं सूझ रहा है तो हमारे ये 13 उपाय आपकी सहायता कर सकते हैं और इनके जरिये आप अपने बच्चे का नामकरण कर सकते हैं।
-किताबों से चुने नाम, नामकरण के लिए कई प्रकाशकों की किताबें बाजार में उपलब्ध होती है। जिनमें अक्षर के हिसाब से तमाम अनेक नाम सुझाए गए होते हैं।
– दोस्तों से सलाह लीजिए, ऐसे दोस्तों से सलाह लीजिए जो पहले से माता-पिता बन चुके हैं। क्योंकि उन्होंने पहले भी अपने बच्चे के नामकरण के लिए कवायद की है तो वे आपको बेहतर सलाह दे सकते हैं।
– आसान नाम की तलाश कीजिए। आसान नाम रखने से इसे पुकारने में आसानी होगी और यह लोगों की जुबान पर आसानी से आ जाएगा।
– अर्थपूर्ण नाम होना चाहिए। बच्चे का नाम हमेशा अर्थपूर्ण होना चाहिए। ऐसे नामों का चयन करने से बचे, जिनका कोई अर्थ नहीं निकलता हो।
– बच्चे का नाम लंबा रखने की बजाय छोटा रखिये। छोटे नाम का उच्चारण करने में आसानी होती है।
– एक नाम ही काफी है, कुछ लोग बच्चे के 2-3 नाम रख देते हैं। यह सही नहीं, इसलिए कोशिश कीजिए कि बच्चे का एक ही नाम रखें।
– ऑनलाइन का सहारा लीजिए, क्योंकि इंटरनेट पर आपको लाखों नामों की सूची उनके अर्थ सहित मिल जाएगी। उनमें से एक अच्छे नाम का चुनाव अपने बच्चे के लिए कीजिए।
– परिवार वालों के नाम पर भी आप बच्चे का नामकरण कर सकते हैं, अगर घर में किसी का नाम आपको सबसे प्यारा लगता है तो उसके नाम पर बच्चे का नाम रखें।
– बच्चे का नाम थोड़ा अलग होना चाहिए, ताकि वह सबके बीच में अपने नाम के आधार पर भी प्रसिद्ध हो जाए या फिर अपने अलग प्रकार के नाम से ही पहचान पा जाए।
– नामकरण करते वक्त गोत्र और नक्षत्रों का भी ध्यान रखें, बच्चे का नाम परंपरा के अनुसार ही करें।
– एक नाम को चुनकर उस पर ऑनलाइन वोटिंग भी कर सकते हैं, इसके आलावा उस नाम पर अपने दोस्तों और घरवालों की राय भी ले सकते हैं।
– अगर आपको अपने दोस्तों, रिश्तेदारों द्वारा बताये गये नाम पसंद नहीं आ रहे हैं तो आप इसके लिए एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं। शायद उसके द्वारा सुझाया गया नाम आपके बच्चे के लिए बेहतर हो। बच्चे का नामकरण सोच-समझकर ही कीजिए। क्योंकि वह पूरी जिंदगी उसी नाम से जाना जाता है।

 

 

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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