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मेरी माटी- मेरा देश अभियान में मुख्यमंत्री ने दिलाई पंच प्रण की शपथ

पवित्र मिट्टी को हाथ में लेकर शपथ दिलाई गई और सेल्फी भी ली गई

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुच्चु पानी, देहरादून में ‘मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान के अन्तर्गत आयोजित ‘वीरों का नमन’ कार्यक्रम में प्रतिभाग कर अमर बलिदानियों की स्मृति में शिलापट का अनावरण किया।

उन्होंने सभी को पंच प्रण की शपथ दिलाई एवं अमृत वाटिका के लिए पौधारोपण किया। इस अवसर पर पवित्र मिट्टी को हाथ में लेकर शपथ दिलाई गई एवं सेल्फी भी ली गई।

मुख्यमंत्री ने सभी को अपनी सेल्फी merimaatimeradesh.gov.in पर अपलोड करने की अपील भी की। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि आज मुख्य सेवक के रूप में उन्हें सभी को सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमें वीरों की वंदना करने का अवसर प्राप्त हुआ है।

उन्होंने कहा, उत्तराखंड की भूमि देवभूमि के साथ ही वीरों की भूमि भी है। प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रयासों से आज सेना न केवल पहले से और अधिक सक्षम और सशक्त हो रही है, बल्कि उसकी यश और कीर्ति पताका सम्पूर्ण विश्व में फैल रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सैनिकों एवं उनके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड राज्य के वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को देय एकमुश्त अनुदान राशि में वृद्धि की गई है।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, प्रेमचन्द अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए । इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान, मेयर देहरादून सुनील उनियाल गामा, मेयर ऋषिकेश अनीता मंमर्गाइं, विधायक मुन्ना सिंह चौहान भी उपस्थित रहे।

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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