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ग्रेफेन का टैटू करेगा हेल्थ की मानिटरिंग

टेक्सास विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य की निगरानी के लिए ग्रेफेन आधारित टैटू विकसित किया गया है, जो पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की तरह है। इस अस्थायी टैटू को पानी से साफ किया जा सकता है। यह कलात्मक या रंगीन डिजाइन का दिखने के बजाय लगभग पारदर्शी है। यह टैटू एक तरह का सेंसर है, जो हृदय, मस्तिष्क की गतिविधियों को मानिटर करेगा।  

इसका मुख्य आकर्षण ग्रेफेन के अनूठा इलेक्ट्रॉनिक गुण है, जिसका बॉयोमीट्रिक उपयोग किया जा सकता है। इसकी मदद से हृदय, मस्तिष्क और मांसपेशियों की विद्युत गतिविधियों को मापा जा सकेगा। साथ ही मानव और मशीन के बीच परस्पर क्रियाओं के लिए इसके इस्तेमाल की संभावनाएं हैं। यह टैटू जैसा एक पहनने योग्य उपकरण होगा। 

वहीं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में अक्सर गोल्ड का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ग्रेफेन इससे अधिक प्रवाहकीय है। यह गोल्ड से कहीं ज्यादा पतला है और यह त्वचा के साथ स्वाभाविक रूप से जुड़ जाएगा। त्वचा पर पड़ने वाली सिकुड़न के अनुसार ढल जाएगा। आशा है कि जैसे ही ग्रेफेन का दाम गिरेगा, ऐसे टैटू चिकित्सा उपयोग के लिए सस्ते हो जाएंगे। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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