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दूषित भोजन खाने से दुनिया में हर दिन बीमार होते हैं 16 लाख लोग

कैंसर से लेकर अतिसार तक, 200 से अधिक बीमारियों की वजह, बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और रसायन से दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, दूषित भोजन खाने से विश्व भर में हर दिन, लगभग 16 लाख लोग बीमार पड़ते हैं। हर साल चार लाख 20 हज़ार लोगों की मौत होती है।

वर्ष 2023 में, इस दिवस पर भोजन संरक्षा उपायों व मानकों की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि हम जो भी चीज़ें खाएँ, वो सुरक्षित हों।

उन्होंने अपने एक वीडियो सन्देश में कहा, “हम खाद्य संरक्षा के बारे में तभी सोचते हैं, जब हम बीमार पड़ते हैं। और हमें इसके बारे में और अधिक सोचना चाहिए, चूँकि भोजन-जनित बीमारियों की पूरी तरह रोकथाम की जा सकती है।”

यूएन विशेषज्ञ के अनुसार, सुरक्षित भोजन खाने से शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं और मानव विकास को बढ़ावा मिलता है। “भोजन करने से किसी की भी मौत नहीं होनी चाहिए. ये ऐसी मौतें हैं, जिनकी रोकथाम सम्भव है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नीतिनिर्धारकों समेत विभिन्न सैक्टर से कार्रवाई का आग्रह किया है, जिसके तहत राष्ट्रीय खाद्य संरक्षा प्रणाली स्थापित किए जाने पर बल दिया गया है, जोकि स्थापित मानकों के अनुरूप होगी।

खाद्य व्यवसायों को अपने कर्मचारियों, आपूर्तिकर्ताओं और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, ताकि एक खाद्य संरक्षा संस्कृति को विकसित किया जा सके।

इसके समानान्तर, शैक्षणिक संस्थाओं और कार्यस्थलों पर सुरक्षित भोजन की देखरेख को बढ़ावा देना होगा।

साथ ही, उपभोक्ताओं को भी अपनी भूमिका निभानी होगी और घर पर भोजन की देखरेख के लिए सभी उपायों को अपनाना होगा और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की अनुशंसाओं का पालन करना होगा। इनमें खाना पकाने से पहले अपने हाथ धोना, और कच्ची खाद्य सामग्री के लिए अलग-अलग बर्तनों व उपकरणों, जैसेकि चाकू, काटने का बोर्ड, का इस्तेमाल करना है।

इस बीच, खाद्य एवं कृषि संगठन ने एक नई वैबसाइट तैयार की है, ताकि खाद्य सैक्टर को अन्तरराष्ट्रीय खाद्य स्वच्छता मानकों का पालन करने में सहायता प्रदान की जा सके। इन उपायों के पुलिन्दे की वैबसाइट ‘टूलबॉक्स’ नाम दिया गया है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और खाद्य व्यापार में निष्पक्ष तौर-तरीक़ों को बढ़ावा देना है।

इस क्रम में, विकासशील देशों के छोटे व्यवासियों और किसानों का विशेष रूप से ख़याल रखा गया है और यह वैबसाइट मोबाइल उपकरणों पर भी देखी जा सकती है।

वैबसाइट पर निजी स्वच्छता बरतने पर जानकारी प्रदान की गई है, और आगन्तुकों के खाद्य उत्पादन स्थल पर जाने के लिए ज़रूरी सतर्कता उपायों के प्रति जागरूक बनाने, सही प्रक्रिया समझने, हाथ धोने की आवृत्ति और उपयुक्त कपड़े पहनने समेत अन्य जानकारी मुहैया कराई गई है। यह तकनीकी सामग्री, यूएन खाद्य संरक्षा अधिकारियों और कैनेडा की गुऐल्फ़ युनिवर्सिटी में भोजन विज्ञान प्रभाग की एक टीम ने मिलकर तैयार की है।-संयुक्त राष्ट्र समाचार 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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