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क्रिकेटर स्नेह राणा ने कहा, उत्तराखंड की खेल मंत्री से बेटियों के लिए बहुत उम्मीदें

 उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से ‘स्नेह से संवाद’ कार्यक्रम में किए अपने अनुभव साझा

देहरादून। मैदान में हर टीम एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी होती हैं। फिर चाहे चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान हो या ऑस्ट्रेलिया हो या कोई और टीम। वर्ल्ड कप में विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से सुसज्जित टीमें भाग लेती हैं। ऐसे मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करना और अपने खेल से प्रभावित करना सपना पूरे होने जैसा है। न्यूजीलैंड में चल रहे आईसीसी महिला विश्व कप क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली दून की होनहार महिला क्रिकेटर स्नेह राणा का मानना है कि आत्मविश्वास और सकारात्मकता के साथ परिश्रम करते रहने से मंजिल को हासिल किया जा सकता है।

शुक्रवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से क्लब सभागार में आयोजित ‘स्नेह से संवाद’ कार्यक्रम में भारतीय महिला टीम का प्रतिनिधित्व करके लौटीं दून के सिनोला गांव निवासी स्नेह राणा ने अपने अनुभव साझा किए। स्नेह ने कहा कि आम सीरीज से ज्यादा महत्व विश्व कप का होता है। हर खिलाड़ी को ऐसे आयोजन में गेंद और बल्ले से देश के लिए अच्छा प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी होती है। एक टीम के रूप में हमने बेहतर प्रदर्शन का प्रयास किया। दक्षिण अफ्रीका से अहम मुकाबले में भी सभी ने एकजुट प्रदर्शन किया, लेकिन कांटे के मुकाबले में अफ्रीकी टीम बाजी मार ले गई।

उन्होंने कहा कि मैच में अनुभवी गेंदबाजी झूलन गोस्वामी को बाहर रखने का नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन अन्य खिलाड़ियों को मौका देना भी रणनीति का हिस्सा था। स्नेह ने कहा कि भारतीय टीम में अलग-अलग प्रांत से खिलाड़ी होते हैं। किसी भी प्रतियोगिता से पहले कैंप का आयोजन इसलिए भी किया जाता है ताकि सभी खिलाड़ी एकदूसरे को जान सकें और उनमें समन्वय बने। विश्व कप के लिए मैंने पहले से ही अपने को मानसिक रूप से मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया ताकि अपने बेस्ट दे सकूं।

उन्होंने कहा कि पहला ही मैच पाकिस्तान के साथ था। हालांकि कोई दबाव नहीं रहा। मुझे खुशी है कि इस मैच में विश्व कप का पहला नाबाद अर्द्धशतक लगाया और विकेट झटक कर भारत की जीत में योगदान दिया। यह मेरे के लिए विश्व कप के यादगार पलों में से एक है। वेस्टइंडीज के खिलाफ अहम मौके पर विकेट हासिल करना भी इनमें से एक है।

रेलवे की महिला टीम की कप्तान स्नेह राणा ने कहा कि अब घरेलू क्रिकेट और आगामी कॉमनवेल्थ सीरीज पर ध्यान केंद्रित करना है। पहले के मुकाबले उत्तराखंड में महिला क्रिकेट में बदलाव आया है। प्रदेश की क्रिकेट एसोसिएशन महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए बेहतर कार्य कर रही है। अब प्रदेश को महिला खेल मंत्री भी मिली है। उनसे उम्मीद है कि बेटियों को खेलों में प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं लाएंगी।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि बीसीसीआई अगले साल से महिला आईपीएल शुरू करने की योजना बना रहा है। यह उन घरेलू महिला क्रिकेटरों के लिए बेहतर प्लेटफार्म साबित होगा जो भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल नहीं हो सकी हैं। साथ ही भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए होड़ शुरू होगी। स्नेह ने कहा कि जब भी मुझे कोई परेशानी होती है या खेल में तनाव महसूस करती हूं तो अपने कोच नरेंद्र शाह और किरन शाह से सलाह लेती हूं, जिनके क्लब लिटिल मास्टर क्रिकेट क्लब से मैंने क्रिकेट का ककहरा सीखा।

इससे पहले प्रेस क्लब महामंत्री ओपी बेंजवाल ने स्नेह का संक्षिप्त परिचय दिया। क्लब की ओर से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर स्नेह राणा को स्मृति पत्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने की। इस मौके पर क्लब के कोषाध्यक्ष नवीन कुमार, संयुक्त दिनेश कुकरेती, नलिनी गुसाईं, कार्यकारिण सदस्य, प्रवीन बहुगुणा, राजकिशोर तिवारी, महेश पांडेय, सोबन सिंह गुसाईं, प्रेस क्लब के पूर्व महामंत्री गिरिधर शर्मा, वरिष्ठ सदस्य अरुण शर्मा, रामगोपाल शर्मा, सेवा सिंह मठारु, गौरव गुलेरी सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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