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जनता को योजना का लाभ देने के लिए फाइलिंग सिस्टम को छोटा करेंः मुख्य सचिव

देहरादून। नवनियुक्त मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू ने मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण किया। मुख्य सचिव संधू ने निवर्तमान मुख्य सचिव ओमप्रकाश से कार्यभार ग्रहण किया।

कार्यभार ग्रहण करने के बाद मुख्य सचिव संधू ने शासन के उच्चाधिकारियों सहित अपर सचिव स्तर तक के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सके और इन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोग ले सकें, इसके लिए हमें प्रयास करने होंगे।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक योजना एक बहुत अच्छे उद्देश्य के साथ शुरू की जाती है, परन्तु योजना के पूर्ण होने के बाद उसका आउटकम क्या रहा, इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि किसी योजना के पूर्ण होने से उस योजना के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सका या नहीं इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि योजनाओं का लाभ समय से जन सामान्य को मिल सके इसके लिए फाइलिंग सिस्टम को छोटा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी फाइल को कम से कम स्तरों पर जाना पड़े, इसके प्रयास किए जाएं।

हमारे पास सभी स्तरों पर बुद्धिमान, मेहनती एवं समझदार लोग हैं। उन पर विश्वास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अधीनस्थों को अपने स्तर पर फाइलों के निस्तारण के लिए जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, ताकि फाइलों के निस्तारण में तेजी लाइ जा सके।

अनुभाग अधिकारी स्तर तक लगातार बैठकें आयोजित की जानी चाहिए, ताकि योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि कोविड के कारण रोजगार सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। राज्य सरकार के प्रयास रहेंगे कि अधिक से अधिक रोजगार पैदा किया जाए। कोविड के प्रकोप पर राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है। इसे बनाए रखने के लिए हम सभी को लगातार सावधानियां बरते जाने की आवश्यकता है।

Keywords:- Chief Secretary SS Sandhu, File Management in Uttarakhand Secretariat, Uttarakhand State, Public Schemes, Policy for Public awareness

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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