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सीएम ने किया जयहरीखाल ब्लॉक में 64.86 करोड़ की भैरवगढ़ी पेयजल योजना का लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक में 64 करोड़ 86 लाख रुपये की भैरवगढ़ी ग्राम समूह पम्पिंग पेयजल योजना और 1 करोड़ 63 लाख रुपये की लागत से बने ब्लाक कार्यालय भवन जयहरीखाल का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना से इलाके के 75 गांव और तोक को पानी मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार में आते ही इस योजना पर तेजी से कार्य प्रारंभ किया गया। 2006 में इस योजना का शिलान्यास तत्कालीन सरकार में किया गया, लेकिन पैसे की कमी के कारण योजना आगे नहीं बढ़ पाई। अगर यही हाल रहता तो यह योजना 2035 में पूरी होती, लेकिन हमने इसे प्राथमिकता पर लिया। आज देश का सबसे बड़ा झूला पुल टिहरी में डोबरा चांठी बनकर तैयार हो गया। उन्होंने लोगों का भी आह्वान किया कि अपने अधिकारों को समझें और जनप्रतिनिधियों से जहां सवाल करना हो वो भी जरूर करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी नौकरी सीमित होती है, इसलिए सरकार नियमित भर्तियों के साथ स्वरोजगार के अवसर भी दे रही है। युवाओं को चाहिए कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना समेत मुख्यमंत्री सोलर स्वरोजगार योजना का लाभ उठाएं। सरकार ने सोलर ऊर्जा योजना में दस हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। चीड़ की पत्तियों को बड़ी फैक्टरियों में बायलर में इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए अमेरिका से बड़ी मशीन मंगवाई जा रही है। पिरूल प्लांट में चीड़ की पत्तियों को खरीदा जा रहा है। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
इस दौरान उन्होंने रेवा पम्पिंग योजना समेत रामी नदी, सिमलसेरा में, मींदाल नदी पर बाढ़ सुरक्षा कार्यों को स्वीकृति देने की घोषणा की। साथ ही नैनीडांडा में विद्युत खंड खोलने की भी घोषणा की। कंडोलिया में गुलदार रेस्क्यू सेन्टर को मंजूरी दी। इस अवसर पर लैंसडौन के विधायक महंत दिलीप रावत, जिलाध्यक्ष संपत रावत, अतर सिंह असवाल, ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा, दीपक भंडारी, तिप के निदेशक अरुण सिंह रावत, विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, जिलाधिकारी धीरज गर्ब्याल आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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