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मौसम की रियल टाइम मॉनिटरिंग से सटीक पूर्वानुमान संभवः मौसम विभाग

देहरादून। न्यूज लाइव

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, यूएसडीएमए के गुरुवार को मानसून की तैयारियों को लेकर विभिन्न विभागों के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविर में मौसम विभाग के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में भी मानसून सामान्य से अधिक वर्षा होने का पूर्वानुमान है। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग इम्पेक्ट बेस्ड पूर्वानुमान जारी किया है, जिससे विभिन्न विभागों को समय रहते अपनी-अपनी तैयारियां करने का पर्याप्त समय मिल जाता है।

उन्होंने बताया, मौसम की रियल टाइम मॉनिटरिंग भी की जा रही है, जिससे काफी हद तक सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव है।

मौसम विशेषज्ञ रोहित थपलियाल ने बताया कि मौसम विभाग की वेबसाइट पर मौसम की पल-पल की जानकारी मौजूद है और विभिन्न प्रसार माध्यमों से इन जानकारियों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। मौसम विभाग अलर्ट जारी करने के साथ ही एहतियात बरते जाने की भी जानकारी साझा करता है।

इस दौरान उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार ने कहा कि राज्य में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बरसात के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनीकरण एवं प्रबंधन उपायों में संबंधित विभाग तेजी लाएं।

प्रशिक्षण शिविर में यूएसडीएमए के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. विमलेश जोशी तथा मौसम विशेषज्ञ डॉ. पूजा राणा ने बताया, आकाशीय बिजली गिरने की घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि हर साल काफी संख्या में लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आकर अपनी कीमती जिंदगी गवां देते हैं।

प्रशिक्षण शिविर में यूएसडीएमए के एसईओसी प्रभारी राहुल जुगरान ने मानसून तथा चारधाम यात्रा को लेकर विभाग की तैयारियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मानसून तथा चारधाम यात्रा को लेकर यूएसडीएमए पूरी तरह से तैयार है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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