ElectionFeaturedNewsPoliticsUttarakhand

हरीश रावत को अपने लिए कुछ नहीं चाहिए, पर बेटे को चुनावी राजनीति में एंट्री मिल जाए

हरिद्वार। न्यूज लाइव डेस्क

“चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह, जाके कछु नहीं चाहिए, वे साहन के साह”

यह दोहा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर अपनी बात उजागर करते हुए पोस्ट किया है।

वो लिखते हैं, मैं हमेशा खुश रहने का प्रयास करता हूं। जीवन के कठिनतम दौर में भी मुस्कुराहट ने मेरा साथ नहीं छोड़ा, क्योंकि मैंने रहीम के दोहे को अपने जीवन का मार्गदर्शक बना दिया।

पहले इस दोहे का अर्थ जान लेते हैं, जो इस प्रकार है- जिन्हें कुछ पाने की इच्छा नहीं, वो राजाओं के भी राजा होते हैं, क्योंकि जब उन्हें किसी चीज़ की चाह नहीं है, तो कोई चिंता भी नहीं, इसलिए उनका मन भी बेपरवाह होता है।

सवाल उठता है, हर चुनाव सक्रिय रहने वाले हरीश रावत लोकसभा चुनाव 2024 में कुछ पाने की इच्छा नहीं, जैसी बात क्यों कह रहे हैं। वो भी उस समय, जब उनके पुत्र वीरेंद्र रावत हरिद्वार सीट से टिकट पाने के लिए जोर लगा रहे हैं। प्रत्याशी चयन के लिए कांग्रेस की मैराथन बैठक के दौर में कई बार इस तरह की खबरें सामने आईं कि वीरेंद्र रावत का टिकट फाइनल हो गया है, बस अब घोषणा होना बाकी है। इन खबरों में कितनी सच्चाई है, यह तो घोषणा होने पर ही पता चलेगा।

ठीक उस दौर में, जब प्रत्याशी चयन को लेकर बैठक चल रही है, इस पोस्ट को साझा किया गया है। ऐसा भी हो सकता है हरीश रावत अपनी अनिच्छा इस वजह से जता रहे हैं, ताकि उनके समर्थक उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव बनाएं और भरपूर समर्थन का वादा करें। इस दबाव का असर पार्टी हाईकमान पर भी पड़े। इससे उनके पास अपने लिए या फिर अपने बेटे के लिए टिकट के विकल्प बने रहें।

पोस्ट में हरीश रावत लिखते हैं, धनुष भी है, तूणीर में बाण भी हैं, सामने चुनाव की चुनौती भी है, मगर मैं किम् कर्तव्य मूढ़ता की स्थिति (क्या करें, क्या न करें) में हूं?  हैप्पीनेस डे पर आप सबकी शुभकामनाएं शायद मेरी कुछ मदद कर सकें। यह पोस्ट 20 मार्च यानी हैप्पीनेस डे पर पोस्ट किया गया था। 

मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि हरीश रावत अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिए टिकट मांग रहे हैं।

सवाल यह है कि क्या हरीश रावत राजनीति में अपना और परिवार का दखल बनाए रखना चाहते हैं।

2004 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर उनकी पत्नी रेणुका रावत चुनाव हारीं।

2009 में हरीश रावत हरिद्वार सीट पर विजयी हुए और केंद्र सरकार में मंत्री रहे।

2014 के चुनाव में पत्नी रेणुका रावत को चुनाव लड़ाया, जो हार गईं। उस समय रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे।

2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट और किच्छा, दो सीटों पर चुनाव हारे।

2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट पर उनकी बेटी अनुपमा रावत ने जीत हासिल की। जबकि इसी चुनाव में हरीश रावत लालकुआं सीट पर चुनाव हार गए थे।

अब उनके पुत्र वीरेंद्र रावत का नाम हरिद्वार सीट पर प्रत्याशी चयन की दौड़ में शामिल है। यह भी कहा जा रहा है कि रावत चाहते हैं कि वीरेंद्र को हरिद्वार सीट पर प्रत्याशी बनाया जाए।

चुनाव की राजनीति में उनके परिवार का दखल बना रहने की चाह रखने वाले हरीश रावत सोशल मीडिया पर  “चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह, जाके कछु नहीं चाहिए, वे साहन के साह” की पोस्ट क्यों कर रहे हैं, इसको उनसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता, पर यह तय है कि रावत की पोस्ट एक तीर से कई निशाने वाली होती है। यह बात अलग है कि निशाना सही लगेगा या नहीं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker