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भारत में जल स्रोतों पर पहली गणना की रिपोर्ट जारी

जल शक्ति मंत्रालय ने 24 लाख से अधिक जल स्रोतों की गणना की रिपोर्ट जारी की

नई दिल्ली। देश के इतिहास में पहली बार जल शक्ति मंत्रालय ने देश भर में पहली बार जल स्रोतों की गणना की है। यह गणना भारत के जल संसाधनों की एक व्यापक सूची प्रदान करती है, जिसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित जल स्रोत जैसे तालाब, टैंक, झील आदि के साथ-साथ जल स्रोतों पर अतिक्रमण से जुड़ा डेटा एकत्र करना शामिल है।

यह गणना सभी जल स्रोतों के एक समग्र राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के क्रम में छठी लघु सिंचाई गणना के अनुरूप केंद्र प्रायोजित योजना “सिंचाई गणना” के तहत शुरू की गई थी। इसमें जलाशयों के प्रकार, उनकी स्थिति, अतिक्रमण की स्थिति, उपयोग, भण्डारण क्षमता, भण्डारण भरने की स्थिति आदि सहित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी एकत्र की गई।

इसमें ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में स्थित उन सभी जल निकायों को शामिल किया जो उपयोग में हैं या उपयोग में नहीं हैं। गणना में जल स्रोतों के सभी प्रकार के उपयोगों जैसे सिंचाई, उद्योग, मत्स्यपालन, घरेलू/पेयजल, मनोरंजन, धार्मिक, भूजल पुनर्भरण आदि को भी ध्यान में रखा गया है। यह गणना सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है और अखिल भारतीय और राज्य-वार रिपोर्ट प्रकाशित की गई हैं।

गणना की मुख्य बातें/ निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

देश में 24,24,540 जल स्रोतों की गणना की गई है, जिनमें से 97.1% (23,55,055) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और केवल 2.9% (69,485) शहरी क्षेत्रों में हैं।

जल स्रोतों की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं, जहां देश के कुल जल स्रोतों का लगभग 63% हैं।

शहरी क्षेत्रों में जल स्रोतों की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं।

59.5 प्रतिशत जल स्रोत तालाब हैं, इसके बाद टैंक (15.7%), जलाशय (12.1%), जल संरक्षण योजनाएं / रिसाव टैंक / रोक बंध (9.3%), झीलें (0.9%) और अन्य (2.5%) हैं।

55.2% जल स्रोतों का स्वामित्व निजी संस्थाओं के पास है, जबकि 44.8% जल स्रोतों का स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र के पास है।

सभी सार्वजनिक स्वामित्व वाले जल स्रोतों में से, अधिकतम जल निकायों का स्वामित्व पंचायतों के पास है, इसके बाद राज्य सिंचाई/राज्य जल संसाधन विभाग आते हैं।

सभी निजी स्वामित्व वाले जल स्रोतों में, अधिकतम जल स्रोत व्यक्तिगत स्वामित्व/ किसानों के पास है, जिससे लोगों के समूह और अन्य निजी संस्थाएं आती हैं।

शीर्ष 5 राज्य जो निजी स्वामित्व वाले जल स्रोतों में अग्रणी हैं, वे पश्चिम बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड हैं।

सभी ‘उपयोग हो रहे’ जल स्रोतों में से, प्रमुख जल स्रोतों को सिंचाई के बाद मत्स्य पालन में उपयोग किए जाने की जानकारी मिली है।

शीर्ष 5 राज्य जहां मत्स्य पालन में जल स्रोतों का प्रमुख उपयोग होता है, वे पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश हैं।

शीर्ष 5 राज्य जिनमें जल स्रोतों का प्रमुख उपयोग सिंचाई में होता है, वे झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात हैं।

78% जल स्रोत मानव निर्मित जल स्रोत हैं जबकि 22% प्राकृतिक जल निकाय हैं। सभी जल स्रोतों में से 1.6% (38,496) जल स्रोतों का अतिक्रमण होने की सूचना है, जिनमें से 95.4% ग्रामीण क्षेत्रों में और शेष 4.6% शहरी क्षेत्रों में हैं।

23,37,638 जलाशयों के संबंध में जल विस्तार क्षेत्र की जानकारी दी गई। इन जल स्रोतों में से, 72.4% का जल विस्तार क्षेत्र 0.5 हेक्टेयर से कम है, 13.4% का जल विस्तार क्षेत्र 0.5-1 हेक्टेयर के बीच है, 11.1% का जल विस्तार क्षेत्र 1-5 हेक्टेयर के बीच है और शेष 3.1% जल स्रोतों का जल विस्तार 5 हेक्टेयर से अधिक है।

गणना रिपोर्ट विभाग की वेबसाइट: https://jalshakti-dowr.gov.in  पर उपलब्ध है। मुख्य परिणाम भुवन पोर्टल के माध्यम से भी प्रसारित किए जाते हैं।

अखिल भारतीय रिपोर्ट को डाउनलोड करने के लिए लिंक : https://jalshakti-dowr.gov.in/document/all-india-report-of-first-census-of-water-bodies-volume-1/ ;

राज्य वार रिपोर्ट: https://jalshakti-dowr.gov.in/document/state-wise-report-of-first-census-of-water-bodies-volume-2/

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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