ElectionFeaturedPoliticsUttarakhand

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र चुनाव लड़ना नहीं चाहते या फिर वजह कुछ और है…

आखिर किन राजनीतिक परिस्थितियों का जिक्र है त्रिवेंद्र सिंह की वायरल चिट्ठी में

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की चुनाव नहीं लड़ने के अनुरोध वाली जो चिट्ठी वायरल हो रही है, उसमें लिखा है- बदली राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे विधानसभा चुनाव 2022 नहीं लड़ना चाहिए। सवाल उठता है, राजनीतिक परिस्थितियों में ऐसा कौन सा बदलाव आ गया कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को चुनाव लड़ने से परहेज हो गया, जबकि वो लगातार अपनी विधानसभा में सक्रिय रहे। यहां परिस्थितियां बदली हुई हों या नहीं हों, पर त्रिवेंद्र सरकार में हुए फैसलों को जरूर बदला गया। इससे साफ है कि त्रिवेंद्र सिंह सरकार के फैसलों को उन्हीं की पार्टी पसंद नहीं कर रही थी और उनके टिकट को लेकर भी असमंजस बना था।

उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले कुंभ के संबध में त्रिवेंद्र के फैसलों को पलटा। कोरोना संकट को देखते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने हरिद्वार स्नान के लिए श्रद्धालुओं पर 72 घंटों के भीतर की कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट लाने के साथ ही अन्य पाबंदियां लागू की थीं, लेकिन इस फैसले को तीरथ सिंह रावत ने पलट दिया।

भाजपा सरकार में तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी त्रिवेंद्र रावत के फैसलों को पलट दिया। उन्होंने देवस्थानम बोर्ड के गठन का फैसला वापस ले लिया। त्रिवेंद्र ने अपने कार्यकाल में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में बांड भरने की एक व्यवस्था खत्म की थी। इस फैसले के कारण एमबीबीएस की फीस प्रति वर्ष 50 हजार रुपये से बढ़कर साढ़े चार लाख रुपये हो गई थी। उनके इस फैसले को भी वापस लिया जा चुका है।

सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि त्रिवेंद्र सरकार के फैसले उनकी अपनी ही पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्रियों ने बदले, ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि राजनीतिक द्वेष में ऐसा किया गया। इससे स्पष्ट है कि त्रिवेंद्र सिंह के फैसलों को उनकी ही पार्टी के नेताओं ने जनता के पक्ष में नहीं माना था, इसलिए पहले त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री पद से हटाया और फिर उनके फैसलों को हटा दिया। इस चिट्ठी में इन्हीं बदलती परिस्थितियों की ओर संकेत किया गया है।

वहीं, माना जा रहा है कि इस बार डोईवाला सीट पर उतना आसान नहीं होने वाला है, जितना कि 2017 के चुनाव में था। तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को 24869 यानी कुल मतदान के 25.70 फीसदी मतों के अंतर से हराया था। त्रिवेंद्र सिंह को 58502 वोट मिले थे। 2017 में डोईवाला में वोटर्स की संख्या 142660 थी और 67.84 फीसदी मतदान हुआ था। इससे पहले भी त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला क्षेत्र से विधायक रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद डोईवाला क्षेत्र के निवासियों की त्रिवेंद्र सिंह रावत से अपेक्षाएं ज्यादा बढ़ गई थीं।

त्रिवेंद्र सिंह के चुनाव नहीं लड़ने की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि उनको टिकट नहीं मिल रहा था। इसलिए उनके चुनाव नहीं लड़ने के अनुरोध वाली चिट्ठी सामने आ रही है। यदि उनको टिकट नहीं मिला तो मान लिया जाएगा कि भाजपा ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker