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जलेबी का पुराना नाम जल वल्लिका

जलेबी तो सभी की पसंद वाली मिठाई है। गर्मागर्म जलेबी सुनते ही मुंह में पानी आना लाजिमी है। अक्सर लोग व्यंग्य कसते हुए कह देते हैं कि वो तो जलेबी की तरह सीधा है। सीधी सादी जलेबी के कुछ नामों पर गौर करते हैं। जलेबी विशुद्ध रूप से भारतीय व्यंजन है, लेकिन कहा जाता है कि जलेबी अरबी शब्द है, जिसका पुराना नाम जलाबिया है।

एक जानकारी के अनुसार जलेबी का नाम कुंडलिका होगा। शायद यह नाम इसकी कुंडली जैसी आकृति को देखकर रखा गया होगा। गोल-गोल चक्कर वाली जलेबी पर कुंडलिका नाम काफी जंचता है। वृत्ताकार आकार वाली जलेबी में रस भरा होता है, इसलिए इसको जल वल्लिका नाम भी दिया गया है।

माना यह भी जाता है कि जल वल्लिका से इसका नाम धीरे-धीरे जलेबी हो गया है। फारसी और अरबी में यह नाम जलाबिया हो गया होगा। बताया जाता है कि भारत के अधिकतर स्थानों पर इसको जलेबी कहा जाता है, वहीं महाराष्ट्र में यह मिठाई जिलबी के नाम से जानी जाती है। पश्चिम बंगाल में इसको जिलपी पुकारा जाता है। जलेबी को अंग्रेजी में राउंडेड स्वीट्स या सिरप फिल्ड रिंग भी कहा जाता है।

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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