FeaturedShort story- Moral Values

कछुए ने नहीं मानी हंसों की बात

एक छोटे से गांव के बाहरी इलाके में एक झील थी। झील में दो हंस और एक कछुआ रहते थे। तीनों में अच्छी दोस्ती थी। वो एक साथ खेलते और भोजन करते थे। एक दूसरे को देश दुनिया की कहानियां सुनाते। एक साल  बारिश नहीं होने की वजह से झील में पानी का संकट हो गया। एक समय ऐसा भी आया, जब झील सूख गई।

हंसों ने प्लान बनाया कि वे दोनों झील छोड़कर किसी ऐसे स्थान पर चले जाएं, जहां पानी की कमी न हो। ऐसा विचार करके दोनों ने लंबी उड़ान भरी और कई मील की दूरी पर दूसरे गांव में बड़ी झील देखकर काफी खुश हो गए। इस झील में मछलियों की भी कोई कमी नहीं थी। इसलिए हंसों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। दोनों ने फैसला कर लिया कि अब इसी झील में आकर रहेंगे।

दोनों हंसों ने वापस लौटकर कछुए को नई झील वाली बात बताई। यह सुनकर कछुआ काफी खुश हो गया और कहने लगा, अब हमारे सामने कोई समस्या नहीं है। चलो जल्दी चलते हैं नई झील की ओर। लेकिन कुछ ही देर में तीनों चिंता में डूब गए। एक हंस बोला, हम तो उड़कर नई झील के पास पहुंच जाएंगे, लेकिन कछुआ तो उड़ नहीं सकता। इसको वहां पहुंचने में कई महीने लग जाएंगे।

कछुआ कुछ समय के लिए सोच में डूब गया और फिर बोला, इस समस्या का समाधान मेरे पास है। तुम एक छड़ी ले आओ। मैं अपने मुंह से छड़ी को कसकर पकड़ लूंगा और तुम दोनों छड़ी के दोनों किनारों को पकड़कर उड़ान भर लेना। इस तरह मैं छड़ी पर लटक कर तुम्हारे साथ नई झील पर पहुंच जाऊंगा। हंसों ने कहा, यह आइडिया तो अच्छा है दोस्त, लेकिन एक दिक्कत है तुम्हारे साथ। तुम बोलते बहुत हो, अगर तुमने रास्ते में मुंह खोल दिया तो सीधे धरती पर गिरोगे। इसलिए ध्यान रहे, अपना मुंह मत खोलना। कछुए ने जवाब दिया, आप चिंता मत करो, मैं झील तक पहुंचने तक चुप ही रहूंगा।

थोड़ी ही देर में तीनों नई झील की ओर रवाना हो गए। दोनों हंसों ने छड़ी के दोनों सिरे पकड़ रखे थे और कछुए ने छड़ी को मुंह से पकड़ रखा था। तीनों एक शहर के ऊपर से उड़ रहे थे। कछुए को हंसों के साथ छड़ी के सहारे उड़ता देखकर शहर के लोग अचरज में पड़ गए। वो कहने लगे- देखो आसमान में अजब नजारा। कितने ताकतवर पक्षी हैं दोनों, जो छड़ी से लटका कर एक कछुए को ले जा रहे हैं।

हंसों की तारीफ सुनकर कछुए से रहा नहीं गया। वह कहना चाह रहा था कि यह आइडिया तो मैंने दिया है। उसने हंसों की चेतावनी को भूलकर बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला, धरती पर आ गिरा। ऊंचाई से धरती पर गिरते ही उसकी मौत हो गई।  अपने मृत दोस्त को देखकर दोनों हंस काफी दुखी हुए। वह कह रहे थे कि अगर कछुए ने हमारा कहना मानकर मुंह बंद ही रखा होता तो वह हमारे साथ नई झील में आकर रहता।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344
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