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उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे सभी 41 श्रमिक सुरक्षित बाहर निकाले

सीएम धामी ने की, हर श्रमिक को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा

Uttarakashi: उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में फंसे सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार रात्रि में सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। ये सभी श्रमिक 12 नवंबर 2023 की सुबह मिट्टी का  धंसाव होने से निर्माणाधीन सुरंग में फंस गए थे। इनको सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की विशेषज्ञ एजेंसियां दिनरात जुटी थीं। रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के समय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह और श्रमिकों के परिजन भी टनल में मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने श्रमिकों और रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए कर्मियों के मनोबल और साहस की जमकर सराहना की।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सरकार एक- एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा, उनके इलाज और घर जाने तक की पूरी व्यवस्था की जाएगी।सिलक्यारा में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में इलाज पर होने वाला खर्चा सरकार उठाएगी। इसके अलावा परिजनों और श्रमिकों के खाने, रहने की भी व्यवस्था सरकार कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बौखनाग और देवभूमि के देवी-देवताओं की कृपा से ऑपरेशन सफल हुआ है। उन्होंने कहा कि बौखनाग देवता का सिलक्यारा में भव्य मंदिर बनाया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बौखनाग के आशीर्वाद से सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आए हैं। ग्रामीणों ने बाबा बौखनाग के मंदिर बनाने की मांग उठाई है। इस मांग को सरकार पूरा करेगी। जल्द ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अभियान में जुटे समस्त बचाव दल को अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरों की खुशी ही मेरे लिए इगास बग्वाल है। बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी के सहयोग, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जा रही पल-पल की निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा से यह अभियान सफल हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए बड़ी खुशी का दिन है, जितनी प्रसन्नता श्रमिक बंधुओं और उनके परिजनों को है, उतनी ही प्रसन्नता आज मुझे भी हो रही है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने कहा कि सही मायनों में हमें आज इगास पर्व की खुशी मिली है। भगवान बौखनाग देवता पर हमें विश्वास था। विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञ इस अभियान में लगे थे। उन्होंने अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य के प्रति अपना आभार प्रकट किया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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