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‘शगुन’ से जानिये स्कूली शिक्षा का हाल

नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की मजबूती के लिए विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन जंक्शनों में शामिल एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ की शुरुआत बुधवार को नई दिल्ली में हो गई। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस ऑनलाइन जंक्शन के जरिए स्कूली शिक्षा से जुड़े सभी ऑनलाइन पोर्टल्स और वेबसाइट को जोड़ने की पहल की है। जुड़ने के लिए क्लिक करें-  स्कूल एजुकेशन शगुन

केंद्रीय मंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए शिक्षा की नींव को मजबूती मिलेगी। ‘शगुन’ में श शब्द का आशय शाला से है, जिसका मतलब स्कूल से है और गुन से गुणवत्ता को दर्शाया गया है। देशभर में 1200 केंद्रीय विद्यालयों, 600 नवोदय विद्यालयों, सीबीएसई से जुड़े 18000 स्कूलों, 30 एससीईआरटी और एनसीटीई से जुड़े 19000 संस्थानों की वेबसाइट्स को ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ पोर्टल से जोड़ा गया है। इसके जरिए 15 लाख स्कूलों, 92 लाख शिक्षकों और करीब 26 करोड़ विद्यार्थियों की जानकारी ली जा सकती है। योजनाओं की जानकारी लेने के साथ ही लोगों को स्कूलों से जुड़ी नई सूचनाएं भी मिलेंगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि किसी के मन में कोई सवाल है, तो वह सवाल हम तक पहुंच सके। इस एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन के जरिए लोग स्कूल के बारे में अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचा सकेंगे। साथ ही स्कूल शिक्षा से जुड़े समस्त आंकड़े एक जगह से प्राप्त कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस नए भारत की कल्पना की है, जिसमें उन्होंने हमेशा कहा कि शिक्षा में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए। उसी दिशा में ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ स्कूली शिक्षा के स्तर को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ के जरिए विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ने के लिए सामग्री मिलेगी। उन्हें वीडियो आधारित शिक्षा का अवसर मिलेगा। वेबसाइट के जरिए यह भी जाना जा सकता है कि आपके क्षेत्र में कौन-कौन से स्कूल हैं और वह क्या-क्या सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ.निशंक ने ‘एकीकृत राष्ट्रीय स्कूली शिक्षा निधि’ बनाने की भी घोषणा की, जिसके जरिए विद्यार्थियों, शिक्षकों ओर स्कूलों से जुड़ी तमाम सूचनाएं एक मंच से मिल सकेंगी। इस मौके पर मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय शामराव धोत्रे, विद्यालय शिक्षा विभाग की सचिव रीना रे आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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