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दुनिया में हर साल होती है 1.7 ख़रब डॉलर की अवैध सट्टेबाज़ीः रिपोर्ट

मादक पदार्थों एवं अपराध पर यूएन कार्यालय (UNODC) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि हर साल, अनुमानित 1.7 ख़रब डॉलर तक की अवैध सट्टेबाज़ी होती है। खेलों में भ्रष्टाचार पर पहली बार आई इस वैश्विक रिपोर्ट में, इस पूरे क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से निपटने के लिए तत्कालिक, एकीकृत व अन्तर्राष्ट्रीय कार्रवाई की मांग की गई है।

यूएन समाचार में प्रकाशित एक खबर में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि यह रिपोर्ट “वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर, खेलों में भ्रष्टाचार और संगठित अपराध के, चौंका देने वाले पैमाने, अभिव्यक्ति और जटिलता के बारे में बताती है।”
यह रिपोर्ट सरकारों, खेल संगठनों, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के लगभग 200 विशेषज्ञों के साथ साझेदारी में तैयार की गई है। इस तरह की अब तक की सबसे गहन समीक्षा है।
यूएन समाचार के मुताबिक, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खेलों में भ्रष्टाचार की मौजूदगी कोई नई घटना नहीं है, क्योंकि प्राचीन ओलम्पिक खेलों के समय से ही सट्टेबाज़ी की गतिविधियां मौजूद रही हैं, लेकिन रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि पिछले दो दशकों में इसमें “पर्याप्त वृद्धि” हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्वीकरण, अपार धन प्रवाह, क़ानूनी एवं अवैध खेल सट्टेबाज़ी का तेज़ी से बढ़ना व तकनीकी विकास, इसे उन आपराधिक नेटवर्कों के लिए तेज़ी से आकर्षक बना रहे हैं, जो इन खेलों से फ़ायदा उठाना चाहते हैं।
रिपोर्ट में अवैध सट्टेबाज़ी, प्रतियोगिताओं में हेराफेरी, दुरुपयोग, प्रमुख खेल आयोजनों के धोखेबाज़ों के चंगुल में आने का जोखिम और संगठित अपराध की भागीदारी आदि की भूमिका का भी विश्लेषण किया गया है। “यह
अनुमान है कि 80% खेल और रेसिंग दांव दुनिया भर में अवैध रूप से होते हैं। ”
यह रिपोर्ट उन पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है जो समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं, जैसे कि ग़लत गतिविधियों का पता लगाने और उनकी सूचना क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों को देने, संबंधित मुद्दों और समस्या के समाधान के लिए मौजूदा क़ानूनी ढांचे का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट में सरकारों और खेल संगठनों के लिए ठोस नीतिगत विचारों वाली एक कार्यपुस्तिका भी शामिल है।इसमें, क़ानूनी, नीति और संस्थागत ढांचे को मज़बूत करने, व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी नीतियां लागू करने तथा खेल संगठनों, अपराध रोकथाम, न्याय अधिकारियों एवं नीति निर्माताओं के बीच बेहतर सहयोग व सूचनाओं के आदान-प्रदान की सिफ़ारिश की गई है।
इस रिपोर्ट को अगले सप्ताह, 13 से 17 दिसम्बर तक मिस्र के शरम अल-शेख़ में आयोजित होने वाली द्विवार्षिक संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक सम्मेलन से ठीक पहले जारी किया गया है।

 

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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