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सरकारी अस्पतालों में ओपीडी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर जोर

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों को रजिस्ट्रेशन के लिए लंबी लाइनों से बचाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं टोकन व्यवस्था को विकसित करने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की बैठक में टेलीमेडिसिन की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नम्बर 104 को व्यापक स्तर पर प्रचारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, आयुष्मान कार्ड, गोल्डन कार्ड, श्रम विभाग से जारी होने वाले कार्ड तथा स्वास्थ्य संबंधी अन्य कार्डों को सही मॉनिटरिंग के लिए एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अभिनव पहल की जरूरत है, डॉक्टरों को दूरस्थ क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाए और तहसील स्तर तक जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जाएं।

उन्होंने कहा, ऐसी व्यवस्था की जाए कि नवजात शिशु के अस्पताल में जन्म होने पर उनके जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल से ही दिए जाएं।

सीएम ने वायरल, डेंगू एवं मलेरिया से निपटने के लिए अस्पतालों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, कहा,  जिन निर्माण कार्यों में देर हो रही है, सबंधित कार्यदायी एजेंसियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाते हुए जिम्मेदारी भी तय की जाए।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को 2025 तक ड्रग्स फ्री राज्य बनाने के लिए सभी विभागों को सुनियोजित प्लानिंग करनी होगी। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, अपर सचिव अरुणेन्द्र चौहान, अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. शैलजा भट्ट, सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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