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उत्तराखंड के सभी कारागारों में खुलेंगी बेकरी यूनिट

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में जेल विकास बोर्ड की पहली बैठक

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में आयोजित जेल विकास बोर्ड की पहली बैठक में कारागारों में श्रम में नियोजित बन्दियों के न्यूनतम मजदूरी दरों को बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

बैठक में दैनिक पारिश्रमिक कुशल के लिए ₹67 से बढ़ाकर ₹85, अर्द्धकुशल के लिए ₹52 से बढ़ाकर ₹65 और अकुशल के लिए ₹44 से बढ़ाकर ₹55 दिए जाने का निर्णय लिया गया।

बैठक में राज्य के सभी कारागारों में बेकरी यूनिट की स्थापना का भी निर्णय लिया गया।

सम्पूर्णानन्द शिविर (खुली जेल) सितारगंज में अच्छी नस्ल की 10 गाय क्रय करने और 05 बीघा भूमि पर विभिन्न प्रजातियों के फलदार तथा औषधीय पौधों की पौधशाला की स्थापना के लिए सहमति बनी।

बैठक में निर्णय लिया गया कि कारागारों में निरुद्ध बन्दियों के कौशल विकास के लिए कौशल विकास विभाग प्रशिक्षण देगा। बन्दियों की रूचि एवं योग्यता के अनुसार विद्युतकार, वेल्डर, कारपेन्टर, सिलाई जैसे व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बैठक में निर्णय लिया गया कि बन्दी वस्त्रों की धुलाई के लिए देहरादून और हरिद्वार कारागारों में लॉन्ड्री मशीन की व्यवस्था के साथ ही जिला कारागार, हरिद्वार में संचालित पावरलूम उद्योग का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

बैठक में निर्णय लिया गया कि कारागारों में निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए, यदि विभागों को उत्पाद की गुणवत्ता और कीमत सही लगती है, तो क्रय करने की अनुमति दी जाएगी। फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी की खरीद के लिए वन निगम से वार्ता करने के निर्देश दिए गए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में सचिव न्याय को भी जेल विकास बोर्ड का सदस्य बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कारागारों में बन्दियों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए रिक्त 11 चिकित्सकों के पदों की उपलब्धता के लिए स्वास्थ्य विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव लाए।

बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव विजय कुमार यादव, आईजी जेल बिमला गुंज्याल, एआईजी यशवंत सिंह, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, अपर सचिव गृह अतर सिंह एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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