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हरीश रावत क्यों कह रहे हैं, मैं अपनी आवाज ठीक से नहीं उठा पा रहा हूं

रावत ने रुद्रपुर की पीएसी वाहिनियों के पोस्टल बैलट नहीं पड़ने का आरोप लगाया

देहरादून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक सवाल उठाया है, जिसका संबंध लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से है, जहां से उन्होंने चुनाव लड़ा है। रावत रुद्रपुर की पीएसी वाहिनियों के पोस्टल बैलट नहीं पड़ने का आरोप लगाते हुए इसे अपने लिए चुनौतीपूर्ण सवाल बताते हैं।

रावत ने सोशल मीडिया पर लालकुआं हैशटैग के साथ पोस्ट किया है- रुद्रपुर की पीएससी वाहिनियों के पोस्टल बैलट न पड़ना, तो उनके अधिकारों का हनन है ही, लेकिन मेरे लिए भी एक चुनौतीपूर्ण सवाल खड़ा हो गया है।  मगर, मामला सीधे-सीधे मेरे चुनावी हित से जुड़ा हुआ है तो इसलिए मैं अपनी आवाज को ठीक से उठा भी नहीं पा रहा हूं।

वो कहते हैं, मगर हकीकत यह है कि मैं, यह समझ नहीं पा रहा हूं कि केवल लालकुआं पोस्टल बैलट क्यों नहीं पहुंचे? क्योंकि यह प्रश्न मुझे कितनी क्षति होगी, इसका नहीं है। प्रश्न यह भी है कि इससे चुनावी प्रणाली की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो जाएंगे!

एक सवाल, एक सेंटर में एक ही व्यक्ति के द्वारा डाले गए वोटों ने खड़ा किया है तो दूसरा सवाल लालकुआं क्षेत्र से संबंध रखने वाले पुलिसकर्मी मतदाताओं के बैलट का उन तक न पहुंचना भी खड़ा कर रहा है। जवाब आज नहीं तो कल निष्पक्ष पर्यवेक्षकों को चुनाव प्रणाली के साथ जुड़े हुए लोगों को देना ही पड़ेगा।

 

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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