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अनुपम खेर बने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के अध्यक्ष

नई दिल्ली। वरिष्ठ फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। खेर गजेन्द्र चौहान का स्थान ग्रहण करेंगे।

अनुपम खेर ने 500 से अधिक फिल्मों में काम किया है और सिनेमा तथा कला के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य भूमिका के लिए पांच बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें ‘बेंड इट लाइक बेकहम’ को 2002 में गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामित किया गया।

इसके साथ ही 2007 में गोल्डन लायन पुरस्कार प्राप्त ‘लस्ट, कॉशन’ और 2013 में ऑस्कर विजेता ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ शामिल हैं। उन्होंने 100 से अधिक नाटकों में काम किया है और ‘दी बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू’ नामक पुस्तक भी लिखी है। इसके पूर्व उन्होंने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में तथा 2001 से 2004 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक के रूप में भी काम किया है।

उन्होंने (1978 बैच) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। उल्लेखनीय है कि भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्थान है और पूरी दुनिया में उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है। संस्थान के छात्रों की फिल्मों को भारतीय और विदेशी समारोहों में बहुत सराहा गया है तथा उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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