आयुर्वेद और वनस्पति

मैं तुलसी तेरे आंगन की…

तुलसी को घरों में देवी के रूप में पूजा जाता हैै। घर के आंगन में तुलसी के पौधे को पवित्र और शुभ माना जाता है। माना जाता है कि घर में तुलसी का पौधा है तो भगवान का वास  होगा।    TULSI इसका प्रभाव मानसिक रूप से शांति प्रदान करता है और मान्यता है कि इससे घर में सुख और समृद्धि तथा सफलताओं के रास्ते खुलते हैं। हिंदू धर्म में तुलसी आस्था की प्रतीक है और यह औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है। भारत में लोग तुलसी-काष्ठ की माला पहनते हैं। 
औषधि के रूप मे्ं इस्तेमाल की जाने वाली तुलसी का आयुर्वेद में बड़ा महत्व है। आयुर्वेद में तो तुलसी का संजीवनी के समान माना जाता है। आयुर्वेद के जानकार कहते हैं कि यदि आपके घर में तुलसी का पौधा लगा हुआ है तो रोगों को लेकर आपकी चिंताएं दूर समझो। स्मरण शक्ति,जुकाम, खांसी, बुखार, सूखा रोग, पसलियों का चलना, निमोनिया, कब्‍ज और अतिसार जैसे रोगों के इलाज में तुलसी का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। तुलसी पत्र मिला हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं। यह वजह है कि कथा के प्रसाद के रूप में मिलने वाले चरणामृत में तुलसी का पत्ता डाला जाता है।तुलसी शरीर का शोधन करने वाली जीवन शक्ति बढ़ाने वाली औषधि है। यह वातावरण को भी साफ करके पर्यावरण संतुलित करती है। 

तुलसी का धार्मिक महत्व 

तुलसी को अथर्ववेद में महाऔषधि नाम दिया गया है। इसे संस्कृत में हरिप्रिया कहते हैं। यह औषधि भगवान विष्णु को प्रिय है। माना जाता है कि तुलसी की जड़ में सभी तीर्थ, मध्य में सभी देवी देवता तथा ऊपरी शाखाओं में सभी वेद हैं। भगवान की पूजा और श्राद्ध में तुलसी जरूरी है। तुलसी से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार देव और दानवों के बीच समुद्र मंथन के समय धरती पर अमृत छलकने से तुलसी की उत्पत्ति हुई। Tulsi 3लंका में विभीषण के घर तुलसी का पौधा देखकर हनुमान जी काफी खुश हुए थे। रामचरित मानस में कहा गया है- नामायुध अंकित गृह शोभा वरिन न जाई। नव तुलसी के वृन्द तहं देखि हरषि कपिराई। 

पद्म पुराण में लिखा है कि जहाँ तुलसी का एक भी पौधा होता है। वहां ब्रह्मा, विष्णु, शंकर भी निवास करते हैं। तुलसी की सेवा करने से सभी कष्ट उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं, जैसे सूर्योदय के साथ अंधकार खत्म हो जाता है। जिस प्रसाद में तुलसी नहीं होता उसे भगवान स्वीकार नहीं करते। पूजन के समय भगवान विष्णु, कृष्ण और श्री बालाजी को तुलसी पत्रों का हार अर्पित किया जाता है। बद्रीनाथ भगवान की पूजा में तुलसी माला प्रयोग की जाती है। तुलसी माला भगवान को अर्पित की जाती है। तुलसी – वृन्दा श्रीकृष्ण भगवान की प्रिया मानी जाती है और इसका भोग लगाकर श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।

इस दिन या समय में न तोड़ें तुलसी के पत्ते

ध्यान दें, शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण के वक्त नहीं तोड़ने चाहिए। बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करना तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है।

स्वास्थ्य के लिहाज से तुलसी 

वैसे तो औषधिय गुणों की खान तुलसी के अनेक फायदे हैं, लेकिन कुछ खास प्रयोगों की जानकारी निम्न है- हर रोज सुबह तुलसी के पांच पत्ते खाने से आपकाे पूरा दिन तरोताजगी महसूस होगी। बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पत्ते खाने से मौसमी बुखार और जुकाम जैसी समस्याएं नहीं होतीं। तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है और ये पत्ते दांतों को भी स्वस्थ रखते हैं। हर रोज तुलसी के पत्ते खाने से चेहरे पर चमक आती है। तुलसी की जड़ का काढ़ा बुखार से राहत दिलाता है। तुलसी, अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के समय बुखार में आराम मिलता है। 

साधारण खांसी में तुलसी और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से खांसी में आराम मिलता है। तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लेने से खांसी दूर हो जाती है। चार-पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में लाभ होता है। तुलसी थकान मिटाने वाली एक औषधि है। बहुत थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है। तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें। कम से कम एक-सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें। यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं।

  • हमारी सलाह है कि रोगों में तुलसी का उपयोग करने से पहले आयुर्वेद के जानकारों से सलाह लेना आवश्यक होगा। 

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Source: Internet

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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