बच्चों को सोने से पहले कहानियां सुनाना उनकी कल्पना शक्ति को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है. यहाँ पांच ऐसी कहानियाँ हैं जो आपके बच्चे को सोने से पहले सुनना पसंद आएंगी। ये कहानियां बहुत शॉर्ट में दी गई हैं, आप इनको अपने अनुसार सुना सकते हैं। बच्चों से बीच बीच में कहानी के संबंध में सवाल भी पूछते रहें, जिससे उनका कहानी से जुड़ाव बना रहेगा।
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सोने से पहले बच्चों को सुनाएं ये कहानियां

बच्चों को सोने से पहले कहानियां सुनाना उनकी कल्पना शक्ति को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है. यहाँ पांच ऐसी कहानियाँ हैं जो आपके बच्चे को सोने से पहले सुनना पसंद आएंगी। ये कहानियां बहुत शॉर्ट में दी गई हैं, आप इनको अपने अनुसार सुना सकते हैं। बच्चों से बीच बीच में कहानी के संबंध में सवाल भी पूछते रहें, जिससे उनका कहानी से जुड़ाव बना रहेगा।

1. चाँद की कहानी

एक बार की बात है, एक छोटा सा लड़का था जो रोज रात को चाँद को देखता था। वह सोचता था कि चाँद एक पनीर का बड़ा सा टुकड़ा होगा। एक रात, वह चाँद तक पहुँचने का रास्ता खोजने निकला। उसने बादलों की सीढ़ियाँ चढ़ीं और तारों के पुल पर चला। जब वह चाँद पर पहुंचा तो उसे पता चला कि चाँद एक बड़ा सा चाँदी का गेंद है। चाँद ने उस लड़के को बताया कि वह रात में चमककर सभी को रोशनी देता है।

2. मोनू का खोया हुआ खिलौना

मोनू नाम का एक छोटा सा लड़का था। उसके पास एक खूबसूरत लाल रंग की खिलौना कार थी। एक दिन, वह अपनी कार को खेलते-खेलते खो गया। वह बहुत उदास हो गया। उसने अपनी कार को हर जगह ढूंढा, लेकिन उसे कार कहीं नहीं मिली। जब वह सोने गया तो उसने अपनी कार के बारे में सोचा। अगली सुबह, जब वह उठा तो उसने अपनी कार को अपने बिस्तर के नीचे छिपी हुई पाया।

3. छोटा सा बादल

एक बार की बात है, एक छोटा सा बादल था। वह बहुत अकेला महसूस करता था क्योंकि वह बहुत छोटा था। बड़े बादल उसके साथ खेलना नहीं चाहते थे। एक दिन, उसे एक छोटी सी चिड़िया मिली, जो गर्मी से परेशान थी। छोटे बादल ने चिड़िया पर अपनी बूंदें गिराईं। चिड़िया बहुत खुश हुई और उसने छोटे बादल को धन्यवाद दिया।

4. चालाक लोमड़ी और कौआ

एक बार की बात है, एक चालाक लोमड़ी थी। उसने एक पेड़ पर बैठे कौए को देखा जिसके मुंह में एक टुकड़ा पनीर था। लोमड़ी ने कौए से कहा, “तुम कितने सुंदर गाते हो! अगर तुम गाओ तो मैं तुम्हें एक इनाम दूंगा।” कौए ने गाना शुरू किया और पनीर उसके मुंह से गिर गया। लोमड़ी ने पनीर उठा लिया और भाग गई। AI Generated

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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