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समय पर मानसूनी बारिश ने बढ़ाया बाजार में प्याज

खरीफ मौसम के लिए आलू का रकबा पिछले साल के बुवाई रकबे से करीब 12 फीसदी अधिक होगा

नई दिल्ली। न्यूज लाइव

इस साल अच्छी और समय पर हुई मानसूनी बारिश ने खरीफ फसलों, जिसमें प्याज तथा टमाटर और आलू जैसी अन्य बागवानी फसलें शामिल हैं, को काफी बढ़ावा दिया है। राज्य सरकारों के साथ कृषि मंत्रालय के आकलन के अनुसार, खरीफ मौसम के लिए प्याज, टमाटर और आलू जैसी प्रमुख सब्जियों की बुवाई के रकबे में पिछले साल के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

पिछले साल के मुकाबले रबी-2024 मौसम में प्याज का उत्पादन थोड़ा कम होने के बावजूद घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता संतोषजनक है। प्याज की फसल तीन मौसमों में प्राप्त की जाती है: मार्च-मई में रबी, सितंबर-नवंबर में खरीफ और जनवरी-फरवरी में देर की खरीफ। उत्पादन के मामले में, रबी फसल कुल उत्पादन का लगभग 70% होती है, जबकि खरीफ और देर की खरीफ दोनों मिलकर 30% उत्पादन करते हैं।

इस साल खरीफ प्याज के तहत लक्षित क्षेत्र 3.61 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की तुलना में 27% अधिक है। शीर्ष खरीफ प्याज उत्पादक राज्य कर्नाटक में, 1.50 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र के 30% रकबे में बुवाई पूरी हो चुकी है और अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में भी बुवाई की प्रगति अच्छी है।

बाजार में वर्तमान में उपलब्ध प्याज रबी-2024 की फसल है, जिसकी कटाई मार्च-मई, 2024 के दौरान हुई है। रबी-2024 का अनुमानित उत्पादन 191 लाख टन है, जो प्रति माह लगभग 17 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है और निर्यात पर एक लाख टन प्रति माह से कम पर प्रतिबंध जारी है। इसके अलावा, इस वर्ष रबी की फसल की कटाई के दौरान और उसके बाद शुष्क मौसम की स्थिति ने प्याज के भंडारण नुकसान को कम करने में मदद की है। प्याज की कीमतें स्थिर हो रही हैं क्योंकि किसानों द्वारा बाजार में जारी रबी प्याज की मात्रा बढ़ रही है। इसका कारण है – मंडी की कीमतों में वृद्धि और मानसून की बारिश की शुरुआत, क्योंकि उच्च वायुमंडलीय नमी भंडारण नुकसान की संभावना को बढ़ा देती है।

हालांकि आलू मूल रूप से रबी की फसल है, लेकिन कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कुछ मात्रा में खरीफ आलू का उत्पादन होता है। सितंबर से नवंबर के दौरान कटाई की जाने वाली खरीफ आलू की फसल बाजार में उपलब्धता बढ़ाती है। इस साल खरीफ आलू के तहत रकबा पिछले साल के मुकाबले 12% बढ़ाने का लक्ष्य है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने लगभग पूरे लक्षित बुवाई क्षेत्र को कवर कर लिया है, जबकि कर्नाटक और अन्य राज्यों में बुवाई की प्रगति अच्छी है।

डीएएफडब्ल्यू के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 273.2 लाख टन रबी आलू कोल्ड स्टोरेज में संग्रहित किया गया था, जो खपत की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। मार्च से दिसंबर तक भंडारण अवधि के दौरान कोल्ड स्टोरेज से निकलने वाली आलू की दर आलू की कीमतें को नियंत्रित करती हैं।

कृषि मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के साथ किए गए आकलन के अनुसार, इस वर्ष लक्षित खरीफ टमाटर रकबा 2.72 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले वर्ष 2.67 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी।

आंध्र प्रदेश के चित्तूर और कर्नाटक के कोलार, जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में फसल की स्थिति अच्छी बताई गई है। कोलार में, टमाटर की तुड़ाई शुरू हो गई है और अब से कुछ दिनों के भीतर बाजार में आ जाएगी। चित्तूर और कोलार में जिला बागवानी अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष टमाटर की फसल पिछले वर्ष की तुलना में काफी बेहतर है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ टमाटर के रकबे में पिछले वर्ष की तुलना में काफी वृद्धि होने की संभावना है।- PIB

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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