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थर्मोकोल के साथ बने बहुमंजिला भवन भूकंप प्रतिरोधी हो सकते हैं

नई दिल्ली। ताप रोधन के साथ भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण के लिए थर्मोकोल भविष्य की सामग्री हो सकती है और निर्माण सामग्रियों को विकसित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की बचत भी कर सकता है।

आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिस प्रबलित कंक्रीट सैंडविच  (reinforced concrete sandwich) पैनल के आंतरिक हिस्से में थर्मोकोल या विस्तारित पॉलीस्टाइरिन (ईपीएस) का उपयोग मिश्रित सामग्री के रूप में किया जाता है, वह चार मंजिला भवनों तक भूकंप बलों का प्रतिरोध कर सकता है।

शोधकर्ताओं ने आईआईटी रुड़की स्थित भूकंप इंजीनियरिंग विभाग के नेशनल सिसमिक टेस्ट फैसिलिटी (एनएसटीएफ) में एक पूर्ण पैमाने की इमारत और कंक्रीट की दो परतों के बीच थर्मोकोल सैंडविच पैनल के साथ बनी कई दीवार घटकों का परीक्षण किया।

इसका विकास भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के उच्च शिक्षा संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना को बेहतर बनाने के लिए धनराशि (एफआईएसटी) कार्यक्रम के तहत किया गया। चूंकि भूकंप प्रबलता से पार्श्व दिशा में एक बल का कारण बनता है, इसे देखते हुए इस परीक्षण का संचालन करने वाले अनुसंधान वैज्ञानिक आदिल अहमद ने पार्श्व बलों के तहत निर्माणों के व्यवहार का मूल्यांकन किया।

यह परीक्षण एक वास्तविक चार मंजिला भवन के विस्तृत कंप्यूटर सिमुलेशन के साथ अनुपूरक था। इस अनुसंधान का पर्यवेक्षण करने वाले प्रो. योगेंद्र सिंह ने बताया कि विश्लेषण से पता चलता है कि इस तकनीक से निर्मित चार मंजिला भवन देश के सर्वाधिक भूकंपीय क्षेत्र (V) में भी बिना किसी अतिरिक्त संरचनात्मक सहायता के भूकंपीय बलों का प्रतिरोध करने में सक्षम है।

उन्होंने इस भूकंप प्रतिरोध क्षमता को इस तथ्य के लिए जिम्मेदार माना कि ईपीएस परत कंक्रीट की दो परतों के बीच सैंडविच पैनल होती है, जिसमें बंधित तार जाल के रूप में इसका सुदृढ़ीकरण होता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भूकंप के दौरान एक भवन पर लगने वाला बल जड़त्व प्रभाव की वजह से उत्पन्न होता है और इसलिए यह भवन के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। थर्मोकोल भवन के द्रव्यमान को कम करके भूकंप का प्रतिरोध करता है।

इस तकनीक में, एक कारखाने में ईपीएस आंतरिक हिस्सा (कोर) और तार जाल सुदृढ़ीकरण पैनल का उत्पादन किया जाता है। भवन के ढांचे का निर्माण पहले कारखाने में बने आंतरिक हिस्से और सुदृढ़ीकरण पैनलों पर किया जाता है और फिर ढांचे के भीतरी हिस्से पर कंक्रीट का छिड़काव किया जाता है। इस तकनीक में किसी शटरिंग की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए इसका निर्माण काफी तेजी से किया जा सकता है।

भूकंप का प्रतिरोध करने के अलावा, एक इमारत की कंक्रीट दीवारों में विस्तारित पॉलीस्टाइरिन कोर (आंतरिक हिस्से) के उपयोग का परिणाम ताप आरामदायक के रूप में दिख सकता है। यह कोर भवन के आंतरिक और बाहरी वातावरण के बीच ताप स्थानांतरण को लेकर जरूरी ताप रोधन प्रदान करता है।

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कारखाने में निर्मित ईपीएस कोर पैनल और बंधित तार जाल सुदृढ़ीकरणः फोटो- पीआईबी

यह भवन के भीतरी हिस्सों को गर्म वातावरण में ठंडा और ठंड की स्थिति में गर्म रखने में सहायता कर सकता है। भारत अपने अलग-अलग हिस्सों में और साल के विभिन्न मौसमों के दौरान तापमान में भारी फेरबदल का सामना करता है। इसे देखते हुए संरचनात्मक सुरक्षा के साथ-साथ ताप आरामदायक एक महत्वपूर्ण विचार है।

इस तकनीक में भवनों के कार्बन फुटप्रिंट में समग्र कमी

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ईपीएस कोर ढांचा और तैयार भवन मॉडल पर कंक्रीट का छिड़काव व डालने का कार्य। फोटो- पीआईबी

के साथ निर्माण सामग्री और ऊर्जा की बचत करने की क्षमता भी है। यह दीवारों और फर्श/छत से कंक्रीट आयतन के एक बड़े हिस्से को बदल देता है।

बेहद हल्के ईपीएस के साथ कंक्रीट का यह प्रतिस्थापन न केवल द्रव्यमान को कम करता है, इस तरह एक भवन पर लगने वाले भूकंप बल को कम करता है, बल्कि सीमेंट कंक्रीट के उत्पादन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा पर भी बोझ कम करता है।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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