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मन की बातः प्रधानमंत्री ने की लॉकडाउन का पालन करने की अपील

मन की बात 2.0’ की 10वीं कड़ी में प्रधानमंत्री का संबोधन

Social distancing बढ़ाओ और Emotional distance घटाओ

नई दिल्ली। ‘मन की बात 2.0’ की 10वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कड़े फैसले लेने के लिए माफी मांगी और कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में कड़े फैसले लेने की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि साथ मिलकर भारत कोविड-19 को हरा देगा। लॉकडाउन लोगों और उनके परिवार को सुरक्षित रखेगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग ‘अलग-अलग रहने’ का पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ सकती हैं।

आज “मन की बात” कार्यक्रम में अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का खेद है कि लॉकडाउन के कारण लोगों विशेषकर गरीबों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने लोगों के लिए सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि 130 करोड़ की आबादी वाले भारत जैसे देश में कोई अन्य विकल्प नहीं था।

उन्होंने आगे कहा कि कड़े फैसले लेने पड़े क्योंकि यह जीवन या मृत्यु का प्रश्न था और यह देखते हुए कि पूरी दुनिया किस दौर से गुजर रही है। उन्होंने एक सूक्ति का उद्धरण दिया, “एवं एवं विकार अपि, तरुन्हा साध्यते सुखम।” इसका अर्थ है बीमारी और इसकी विपत्ति को शुरुआत में ही खत्म कर देना चाहिए।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब बीमारी असाध्य हो जाती है तो इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। कोरोनावायरस ने दुनिया को बांध दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह ज्ञान, विज्ञान, अमीर, गरीब, सामर्थवान, कमजोर- सभी को चुनौती दे रहा है। यह किसी एक देश की सीमा तक सीमित नहीं है और यह किसी क्षेत्र या मौसम का भी विभेद नहीं कर रहा है।”

प्रधानमंत्री ने इसे खत्म करने के संकल्प के साथ एकजुट होने के लिए पूरी मानवता का आह्वान किया क्योंकि इस वायरस से पूरी मानव जाति के विनाश का खतरा बन गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लॉकडाउन का पालन करना दूसरों की मदद करना नहीं बल्कि स्वयं को सुरक्षित रखना है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अगले कुछ दिनों तक अपने व अपने परिवार की सुरक्षा करें और लक्ष्मण रेखा का पालन करें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग लॉकडॉउन का उल्लंघन कर रहे हैं, क्योंकि वे मामले की गंभीरता को समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील की और कहा कि ऐसा नहीं होने पर हमें कोरोनावायरस की विपत्ति से अपने आप को बचाना मुश्किल हो जाएगा।

उन्होंने एक उक्ति का जिक्र किया, “आरोग्यम परम भाग्यम्, स्वास्थम् सर्वार्थ साधनम्।” इसका अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि दुनिया में खुशी का एक मात्र रास्ता अच्छा स्वास्थ्य है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ने का सबसे कारगर तरीका social distancing है, लेकिन, हमें ये समझना होगा कि social distancing का मतलब social interaction को खत्म करना नहीं है, वास्तव में, ये समय, अपने सभी पुराने सामाजिक रिश्तों में नई जान फूँकने का है, उन रिश्तों को तरो-ताज़ा करने का है – एक प्रकार से, ये समय, हमें ये भी बताता है कि social distancing बढ़ाओ और emotional distance घटाओ | मैं फिर कहता हूँ, social distancing बढ़ाओ और emotional distance घटाओ |

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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