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अल्ज़ाइमर रोग के प्रभावी उपचार के लिए नई दवा की ओर बढ़े कदम

नई दिल्ली। 25 अक्तूबर 2024

देश के वैज्ञानिकों ने अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s disease) के उपचार के लिए नए अणुओं की खोज की है। यह एक महत्वपूर्ण खोज है, जो अल्जाइमर रोग के इलाज की दवा बनाने में कारगर साबित होगी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे गैर-विषाक्त अणु को बनाया है, जो अल्जाइमर रोग से बचाव में सहायक साबित होगा।

अल्ज़ाइमर रोग के बारे में

न्यूरॉन मस्तिष्क में विशेष कोशिकाएं होती हैं, जो तंत्रिका तंत्र बनाती हैं। तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क और शरीर के शेष भागों के बीच संचार का कार्य करता है। अल्ज़ाइमर रोग (एडी) इस संचार को बाधित करता है, जिससे सीखने और याददाश्त में बाधाएं आती हैं और अनुकूली व्यवहार में बदलाव होता है। अल्ज़ाइमर रोग कुछ हार्मोन में असंतुलन के कारण होता है।

अल्ज़ाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम स्वरूप है और यह सभी डिमेंशिया मामलों का लगभग 75 प्रतिशत है।

दुनिया भर में डिमेंशिया से पीड़ित लगभग 55 मिलियन लोगों में से 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत को अल्ज़ाइमर रोग होने की आशंका है।

यह रोग सबसे अधिक 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।

इसके कारणों में मुख्य रूप से उम्र से संबंधित मस्तिष्क परिवर्तन और आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली कारक शामिल हैं।

उपचार डिमेंशिया को धीमा करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम हो सकता है, लेकिन ये स्थितियाँ प्रगतिशील हैं और समय के साथ बीमारी के लक्षण बिगड़ते जाते हैं।

उपलब्ध उपचार

वर्तमान में अल्ज़ाइमर रोग को ठीक करने के लिए उपलब्ध उपचार विकल्प एक एन- मिथाइल- डी- एस्पार्टेट रिसेप्टर प्रतिपक्षी (मेमेंटाइन) और तीन एंटी-कोलिनेस्टरेज़ दवाओं (डोनेपेज़िल, रिवास्टिग्माइन, गैलेंटामाइन) तक सीमित हैं। लेकिन, स्वीकृत एंटी-कोलिनेस्टरेज़ दवाएँ अल्पकालिक लाभ और गंभीर दुष्प्रभावों की सीमाओं से ग्रस्त हैं, जो उनके नैदानिक ​​अनुप्रयोगों को प्रतिबंधित करती हैं।

क्या नया हुआ

हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, पुणे के अगरकर शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. प्रसाद कुलकर्णी और डॉ. विनोद उगले (एसईआरबी टीएआरई फेलो) ने नए अणु उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की है।

इन अणुओं की शक्ति और साइटोटॉक्सिसिटी का आकलन करने के लिए इन-विट्रो स्क्रीनिंग विधियों का उपयोग किया गया।

विकसित अणु गैर-विषाक्त और कोलिनेस्टरेज़ एंजाइमों के खिलाफ प्रभावी पाए गए।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2068160

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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