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तन और मन की तंदुरस्ती के लिए अपनाएं ये योगासन

योगासन शरीर एवं मस्तिष्क दोनों के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद होता है। कई बार देखा गया है कि शरीर के अनुसार मन काम नहीं करता और कई बार मन की शरीर नहीं सुनता, ऐसे में दोनों के बीच तालमेल नहीं हो पाता और तनाव होता है, लेकिन अगर आप इन 2 योगासन का नियमित अभ्यास करें तो दोनों के बीच बेहतर तालमेल होगा।
मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए योग
आज की भागदौड़ वाली जीवनशैली में खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और संतुलित रखने की कोशिश करने का समय बहुत सीमित हो गया है। तो बजाय आपको यह कहने के कि आप अपने व्यस्त जीवन में एक और चीज को जोड़े हम आपको बतायेगें कि कठोर नहीं बल्कि होशियार तरीके से आप मानसिक और शारीरिक संतुलन को कैसे बना सकते है।
मालासन और उत्तानासन
योग के दो आसन इसमें आपकी मदद कर सकते हैं- इन योग आसन को आप तब कर सकते हैं जब आप कुछ और नहीं कर रहें; यह योगासन हिरन से भी तेज बना सकते हैं। भविष्यवक्ताओं का कहना है कि इसकी मदद से आप जमीन पर असानी से बैठ जाएं और बिना किसी सहायता के तेजी से खड़े हो सकते हैं। मालासन और उत्तानासन इन महत्वूपर्ण शारीरिक गतिविधियों का अभ्यास करने का सबसे अच्छा तरीका है।
योग के फायदे
योगाभ्यास एक ऐसी क्रिया है जो किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ और निरोग रखने में पूरी तरह से मदद करता है। इन योग के द्वारा आप कई तरह की बीमारियों से जड़ से निजात पा सकते हैं, साथ ही यह आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर स्वस्थ रहने में मदद करता है। योग केवल शारीरिक अभ्यास का नाम नहीं है, बल्कि यह शरीर को प्रकृति के साथ संतुलन बैठाने की ऐसी अद्भुत क्रिया है, जो मानसिक तनाव या दवाब से शरीर में उत्पन्न होने वाले हानिकारक रसायन से होने वाले विकारों से बचाकर मानव के शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं के सर्वागीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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