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भारत ने तंबाकू खेती के लिए हर साल 1700 हेक्टेयर जमीन गंवाई

नई दिल्ली


भारत ने 1962 और 2002 के बीच तंबाकू की खेती हर साल 1700 हेक्टयर वन गंवाया है। तंबाकू निषेध दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसका सेवन खत्म करने से देशों को बड़े पैमाने पर हो रहे पर्यावरण नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।  चीन, ब्राजील और भारत तंबाकू की खेती करने वाली सबसे बड़े देश हैं। चीन में 32 लाख टन तंबाकू पैदा होती है।

अपनी पहली रिपोर्ट तंबाकू और पर्यावरण पर उसका प्रभाव एक अवलोकन में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 1970 के दशक से वनों पर तंबाकू की खेती का प्रभाव चिंता की बड़ी वजह है। उसने रिपोर्ट में लिखा है कि इस बात के सबूत हैं कि तंबाकू की खेती से पेड़ों एवं अन्य पादपीय प्रजातियों को भारी अपरिवर्तनीय क्षति हुई है और यह जैवविविधता के लिए एक खास खतरा है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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