आयुर्वेद और वनस्पति

बड़े काम की चीज है ये कढ़ी पत्ता

 

कढ़ी पत्ता मोटापा कम करने में सहायक

  • जेपी मैठाणी

कढ़ी पत्ता देश के हर भाग और घर में पाया जाने वाला पौधा है। इसे मीठी नीम भी कहा जाता है। इसे भोजन में खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह खास तौर पर साउथ इंडिया में काफी पसंद किया जाता है।

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कढ़ी पत्ता

अक्‍सर लोग इसे सब्‍जियों और दाल में देखकर हाथों से उठाकर दूर कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है। यह हाजमा ठीक करता है। अगर मठ्ठे को हींग और कढ़ी पत्‍ता मिलाकर पीया जाए तो भोजन आसानी से हजम हो जाता है।

 


कन्नड़ भाषा में इसे काला नीम कहा जाता है। इसकी पत्तियां देखने में कड़वे नीम की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं, लेकिन इसके पेड़ का नीम से कोई संबंध नहीं है। असल में कढ़ी पत्ता, तेज पत्ता या तुलसी के पत्तों, जो भूमध्यसागर में मिलनेवाली ख़ुशबूदार पत्तियां हैं, से बहुत अलग है। खाने का जायका बढ़ाने के साथ ही यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। मधुमेह और लिवर से जुड़ी बीमारियाें में यह गुणकारी साबित हो सकता है। वजन कम करने में सहायक है। दक्षिण भारत और पश्चिमी-तट के राज्यों में कई तरह के व्यंजन में इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। यह आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण जैसे एंटी-डायबिटीक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल पाए जाते है। 


कढ़ी पत्ते में एन्टी बैक्टीरियल और एन्टी-इन्फ्लेमटोरी गुण होते हैं। यह पेट में होने वाली गड़बड़ियों से राहत दिलाते है। इसके सेवन से दस्त की परेशानी से राहत मिलती है और पाचन तंत्र सुधरता है। “माइल्ड लैक्सटिव” दस्त से राहत दिलाने में मददगार है। दस्त होने पर कढ़ी पत्ते को क्रश करके बटर मिल्क के साथ दिन में तीन बार लेने से राहत मिलती है। लंबे और स्वस्थ बालों के लिए भी बहुत लाभप्रद माना जाता है।


कढ़ी पत्ता खाने से त्वचा, बाल और स्वास्थ्य को कई तरह से फायदे मिलते हैं। यह ब्लड शुगर कम करने में सहायता करता है। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कढ़ी पत्ते का जूस पिया जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कढ़ी पत्ते से वज़न घटाया जा सकता है। Curry-1इसके पत्तों के सेवन से शरीर का जमा वसा निकल जाता है। इसमें मौजूद फाइबर शरीर से विषाक्त पदार्थों या टॉक्सिन को निकाल देता है। इसका रेचक (laxative) गुण खाने को जल्दी हजम कराता है, विशेषकर जब आप बदहजमी महसूस करते हैं। कैराली आयुर्वेदिक ग्रुप की गीता रमेश ने अपनी किताब ‘ द आयु्र्वेदिक कूकबूक’ में कहा है कि हर दिन कढ़ी पत्ता खाने से वज़न घटता है और कोलेस्ट्रोल कम होता है। इसलिए अगली बार आप प्लेट में कढ़ी पत्ता न छोड़ें, इसको चबाकर खाएं और आसानी से वज़न घटाएं।


भोजन में इसको नियमित रूप से शामिल करने से आपका तनाव दूर होगा।  सिर्फ यही नहीं इससे बालो को काला होने में भी मदद मिलेगी।


मधुमेह रोगियों के लिए भी कढ़ी पत्ते बेहद फायदेमंद हैं। रोजाना सुबह 3 महीने तक लगातार सेवन करने से फायदा मिलेगा। मधुमेह से होने वाला मोटापा दूर करने में भी यह मदद करता है।


कढ़ी पत्ते का एक गुच्छा साफ पानी से धो लें और सूरज की धूप में तब तक सुखा लें, जब तक कि यह सूखकर कड़ा न हो जाए। फिर इसे पीसकर पाउडर बना लें। अब 200 एमएल नारियल या फिर जैतून के तेल में लगभग 4 से 5 चम्मच कढ़ी पत्ती पाउडर मिक्स करके उबाल लें। दो मिनट बाद आंच बंद करके तेल को ठंडा होने के लिए रख दें। तेल छान कर किसी एयर टाइट शीशी में भरकर रख लें। सोने से पहले रोज रात यह तेल बालों पर लगाएं। इससे सिर की अच्छे से मसाज करें। अगर इस तेल को हल्की आंच पर गरम करके लगाया जाए तो जल्दी असर दिखेगा। अगली सुबह सिर को नैचुरल शैंपू से धो लें। इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा।

 

  • लेखक पर्यावरण संरक्षण और स्वराेगार के लिए कार्य कर रही संस्था आगाज फैडरेशन के अध्यक्ष हैं। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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