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पंद्रह ग्राम पंचायतें ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2023’ पुरस्कार से सम्मानित

मुख्यमंत्री ने स्वच्छता के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले पांच पर्यावरण मित्रों को भी सम्मानित किया

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को अपने आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में स्वच्छता सेवा पखवाड़ा-2023 का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने 15 ग्राम पंचायतों को ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2023’ पुरस्कार से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने स्वच्छता के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले पांच पर्यावरण मित्रों को भी सम्मानित किया। साथ ही, ‘स्वच्छता ही सेवा गीत’ का विमोचन किया।

उन्होंने कहा, स्वच्छता के इस महाअभियान में उत्कृष्ट योगदान देने वाली सभी पंचायतों और स्वच्छता दूतों के आभारी हैं, जिनकी संकल्प शक्ति और प्रयासों ने राज्य में स्वच्छता का एक नया अध्याय लिखा है।

मुख्यमंत्री ने कहा, स्वच्छता दूत ही स्वच्छता अभियान की धुरी हैं और जो सम्मान राज्य ने प्राप्त किया है वो इनके बिना असंभव था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन की वजह से देश स्वच्छता के प्रति पुनः जागृत हुआ है।

इस महाअभियान की सफलता की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। जब सरकार के प्रयासों में जन भागीदारी जुड़ती है, तो उन प्रयासों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा, वैश्विक पर्यटन के नक्शे पर आज उत्तराखंड ने एक नया स्थान अर्जित किया है। स्वच्छता और पर्यटन का आपस में गहरा संबंध है, जहां स्वच्छता होती है, वहां पर्यटन में भी वृद्धि होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य सरकार 17 सितम्बर 2023 से 02 अक्टूबर 2023 तक “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की, समग्र स्वच्छता के इस महाअभियान में समस्त पंचायत प्रतिनिधि, समुदाय स्तरीय संगठन, स्वयं सेवी संगठन एवं समस्त नागरिक अपना योगदान देंगे।

इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक सविता कपूर, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, निदेशक शहरी विकास नितिन भदौरिया, निदेशक स्वजल कर्मेन्द्र सिंह उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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