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उत्तराखंड चुनावः रामनगर से चुनाव लड़ने के लिए हरीश रावत यह बोले

पूर्व सीएम रावत ने रामनगर को बताया राजनीतिक जीवन की पाठशाला

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री को कांग्रेस ने उत्तराखंड की रामनगर सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। उनके रामनगर से चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस का एक धड़ा विरोध कर रहा है। विरोध करने वाले वो हैं, जो कभी उनके सबसे खास हुआ करते थे। इस बीच, रावत ने एक बयान जारी किया है, जिसके अनुसार, वो बहुत समय से चाह रहे थे कि रामनगर से चुनाव लड़ें। पार्टी ने उनको रामनगर से लड़ने का अवसर दिया, इसके लिए वो आभारी हैं। इससे साफ है कि रावत किसी और सीट से नहीं, बल्कि रामनगर से ही चुनाव लड़ेंगे।

सोशल मीडिया पोस्ट पर रावत लिखते हैं, बहुत समय से रामनगर से चुनाव लड़ने की आकांक्षा थी। उन्होंने रामनगर से जुड़ी अपनी यादों को साझा करते हुए कहा, मैंने अपने राजनीतिक जीवन की अ-आ, क-ख भी रामनगर में ही सीखी।

रावत ने रामनगर के उन लोगों को याद किया, जिन्होंने उन्होंने राजनीति के बारे में जाना। वो कहते हैं, उस समय के बहुत सारे साथी, सहयोगी आज भी मुझे बहुत याद आते हैं, क्योंकि उस समय की दोस्ती निश्चल दोस्ती होती थी। उसमें आज की राजनीति के छल, फरेब, घमंड, अहंकार आदि नहीं थे, जैसे दिखते थे, वैसे ही कहते थे।

पूर्व सीएम कहते हैं, मेरे अंदर का वो हरीश रावत जो रामनगर से कुछ सीख कर आगे बढ़ा, कभी भी बूढ़ा नहीं हुआ, कभी थक कर के सोया नहीं। मन के कोने में हमेशा रामनगर के लिए एक लालसा रही। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान रामनगर के लिए कराए कार्यों का जिक्र भी किया और अपनी योजनाओं के बारे में बताया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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