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54 खिलाड़ियों सहित 88 सदस्यीय भारतीय ओलंपिक दल टोक्यो पहुंचा

नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए 54 खिलाड़ियों सहित 88 सदस्यीय भारतीय दल आज टोक्यो के नारिता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा।

कुर्बे सिटी के प्रतिनिधि टीम की अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंचे। केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने कल रात इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारतीय दल को औपचारिक विदाई और शुभकामनाएं दीं।

बैडमिंटन, तीरंदाजी, हॉकी, जूडो, तैराकी, भारोत्तोलन, जिम्नास्टिक और टेबल टेनिस सहित आठ खेलों के एथलीट और सहयोगी स्टाफ कल रात नई दिल्ली से टोक्यो के लिए रवाना हुए थे।

127 खिलाड़ियों के साथ, टोक्यो ओलंपिक में, भारत का किसी ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा दल होगा।

केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने हवाई अड्डे पर भारतीय दल को संबोधित करते हुए कहा कि टोक्यो ओलंपिक 2020 देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और 135 करोड़ भारतीयों की शुभकामनाएं इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के साथ हैं।

अनुराग ठाकुर ने खिलाड़ियों से कहा, “आप कुछ चुनिंदा लोग हैं, जिन्हें यह शानदार अवसर मिल रहा है और जीवन में अभी लंबा सफर तय करना है, इसलिए आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए लेकिन तनाव न लेते हुए, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सुझाव दिया था।

ठाकुर ने आगे कहा कि एथलीटों को मजबूत बने रहना चाहिए क्योंकि जब वे किसी प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो यह भावनाओं की लड़ाई होती है और अंततः यह उनकी मानसिक शक्ति ही है जो उनके प्रदर्शन में दिखाई देगी।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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